॥ दादूराम-सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*= स्मरण का अंग - २ =*
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*दादू कहाँ शिव बैठा ध्यान धरै, कहाँ कबीरा नाम ।*
*सो क्यों छाना होइगा, जेरु कहैगा राम ॥ ११२ ॥*
हे जिज्ञासुओं ! विचार करो शिवजी, परमात्मा का कहाँ ध्यान कर रहे हैं ? कहिए कैलास में, किन्तु उनकी कीर्ति सर्वत्र व्याप्त है । और कबीर जी राम-नाम का कहाँ जाप करते थे ? हे जिज्ञासु ! कबीर जी जुलाहे के कुल में उत्पन्न होकर हृदय में राम-नाम का स्मरण करके प्रसिद्ध हो रहे हैं । इसीलिए यह सत्य है कि जो कोई अब भी भगवत् भजन करेंगे, उनकी कीर्ति कहिए, यश सर्वत्र प्रकाशमान रहेगा ॥११२॥
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*दादू कहाँ लीन शुकदेव था, कहाँ पीपा, रैदास ।*
*दादू साचा क्यों छिपै, सकल लोक प्रकास ॥११३॥*
हे जिज्ञासुओं ! देखो, शुकदेव जी तोता के शरीर में प्रभु-स्मरण में लीन हुए और भक्त पीपा जी भगवद् भक्ति से महान् भक्त कहलाए । ये गढ़ गागरोन के राजा थे । आम लोग इनके बारे में नहीं जानते । परन्तु भगवत् भक्ति के प्रभाव से इनका प्रकाश समस्त संसार में व्याप्त हो रहा है, क्योंकि जो सच्चे ईश्वर के भक्त हैं, उनकी अलौकिक महिमा छिपी कैसे रह सकती है ॥११३॥
(क्रमशः)
(क्रमशः)
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