शनिवार, 13 दिसंबर 2014

= २४ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐 
दादू ज्यों यहु समझै त्यों कहो, यहु जीव अज्ञानी । 
जेती बाबा तैं कही, इन इक न मानी ॥ 
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साभार : Ritesh Srivastava
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कई बार लोग दूसरों की चीजों को हडपने के लिए परमात्मा का बहाना बनाते हैं वे नितांत अनैतिक कार्यों को परम नैतिकता से मिलाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं यदि गलत काम करने के लिए कोई परमात्मा का हवाला देता है तो उसे सबक सिखाने के लिए भी परमात्मा के नाम का सहारा लिया जा सकता है ॥हरी ॐ॥ 
एक बार एक सुन्दर बाग मे जहाँ बहुत से फल लगे थे एक साधुवेशधारी वहाँ पहुँच गया और पेड़ पर चढ़कर फल खाने लगा तो उस बाग का मालिक कान्हा जो एक सरल हृदय व धार्मिक व्यक्ति था उसने देख लिया और बोला बाबा जी आप मेरे बगीचे में कैसे आ गए और यूँ पेड़ पर चढ़कर फल क्यों खा रहे हैं ? यदि आपको फल खाने थे तो आप मुझे कहते मैं आपको फल तुडवाकर देता । 
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यह सुनकर वह व्यक्ति पेड़ की डाल पर बैठे बैठे बोला मुझे किसी से पूछने कि क्या जरूरत ये सारा संसार परमात्मा ने बनाया है यह बगीचा और इसमे लगे पेड़ पौधे व फल सभी परमात्मा के हैं और मैं परमात्मा का सेवक हूँ इस नाते इन फलों पर मेरा भी अधिकार बनता है मैं जितने फल खाऊं समझो यह परमात्मा की इच्छा है । कान्हा बोला परमात्मा का मैं भी सेवक हूँ पर इस तरह गलत काम नहीं करता आप जो कर रहे हैं वह चोरी है आप फल चुराकर खा रहे हैं यह सुनकर उस वेशधारी को गुस्सा आ गया और बोला चुप कर अधर्मी मुझे चोर कहता है अरे पापी तो तु है जो मुझ पर यूँ लांछन लगा रहा है ।
कान्हा समझ गया कि वह साधु के वेश मे कोई ढोँगी है और अब इसे सबक सिखाया ही पड़ेगा वह व्यक्ति जैसे ही फल खा कर नीचे उतरा तो कान्हा ने एक रस्सी लेकर उसे तने से बाँध दिया और फिर एक डंडा लेकर उसकी पिटाई शुरू कर दी वह ढोँगी चीखते चिल्लाते हुए बोला मुझ निरपराध को इतनी बेदर्दी से पीटते हुए तुझे लज्जा नहीं आती क्या तुझे परमात्मा का डर भी नहीं है ? 
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इस पर कान्हा बोला मैं क्यों डरूं यह बगीचा यह लाठी और ये मेरे हाथ सब कुछ परमात्मा की ही मिल्कियत है और सही गलत सब परमात्मा जाने समझ लो कि मैं जो भी कर रहा हूँ वह सब परमात्मा की मर्जी से कर रहा हूँ यह सुनकर वह व्यक्ति अपने किए बर्ताव लिए क्षमा माँगने लगा और फिर कभी ऐसा न करने कि सौगन्ध खाने लगा तब कान्हा ने उसे छोड़ा ...
॥वन्दे मातरम्॥ 

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