मंगलवार, 31 मार्च 2015

#‎daduji‬
|| दादूराम सत्यराम ||
"श्री दादू चरितामृत(भाग-१)" लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान |

- अथ अष्टम बिन्दु -
= गरीबदासादि का जन्म = 
वैसे ही दादूजी ने भी भगवत् आज्ञा से उक्त चार व्यक्ति अपने योगरूप तपोबल से ही उत्पन्न किये थे | योगियों में यह सामर्थ्य हो इसमें तो कहना ही क्या है ? राक्षस भी अपनी मायिक सृष्टि रच देते हैं | द्रौपदी और धृष्टद्युम्न भी बिना विन्दु ही उत्पन्न हुये थे | वे मायिक भी नहीं थे | मत्सेन्द्रनाथ भी योगबल से मत्स्य से मानव बने थे | यह इतिहास पुराणादि में प्रसिद्ध है | 

आदि देव समुद्भूता ब्रहममूलाक्षयाव्यया | 
सासृष्टिमानसीनाम धर्म तंत्र परायणा || २० || 

महाभारत शां. प. मोक्ष धर्म अ. १८८ | जो सृष्टि आदिदेव ब्रह्मा के मन से उत्पन्न हुई है, जिसके जड़-मूल केवल ब्रह्मा ही हैं तथा जो अक्षय, अविकारी एवं धर्म में तत्पर रहने वाली है, वह सृष्टि मानसी कहलाती है | अतः यह शंका करना कि विन्दु बिना उत्पन्न नहीं हो तो, ब्रह्मा, विश्वामित्र, कर्दम आदिकों ने इच्छा मात्र से कैसी रची थी ? उन्होंने रची थी, वैसे ही दादूजी ने भी हरि आज्ञा होने से यह चार व्यक्ति रूप सृष्टि योगशक्ति द्वारा मन से ही रची थी | ईश्वर की तथा ब्रह्मरूप संतों की शक्ति विचित्र होती है | उनके लिए ऐसी बात असंभव नहीं है | 

= इति श्री दादूचरितामृत अष्टम विन्दु समाप्तः | 

(क्रमशः)

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