गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

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卐 सत्यराम सा 卐
दादू प्राण पयाना कर गया, माटी धरी मसाण ।
जालणहारे देखकर, चेतैं नहीं अजाण ॥ 
दादू केई जाले केई जालिये, केई जालण जांहि ।
केई जालन की करैं, दादू जीवन नांहि ॥ 
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साभार ~ Ramgopal Goyal Rotiram ~
"श्रीमद् आदि शंकराचार्य कृत" 
(चर्पट पन्जरिका स्तोत्रम्) 
भज गोविंदम् भज गोविंदम्, गोविन्दम् भज मूढमते 

पन्द्रहवाँ स्तोत्रम् ~
यावज्जीवो निवसित देहे, कुशलम् तावत्पृच्छति गेहे ।
गतिवति वायौ देहापाये, भार्या बिभ्यति तस्मिन्काए ।।
अर्थ - जब तक प्राण शरीर में हैं, तब तक ही लोग घर में कुशल पूछते हैं, प्राण निकलने पर शरीर का ज्यों ही पतन हुआ नहीं कि, फिर अपनी ब्याहता स्त्री भी उस शरीर से भय मानती है ।
(श्रीमद् शंकराचार्य जी द्वारा व्याख्या)
किसी ने सत्य ही कहा है कि, प्राण, प्रयाण के बाद धन भूमि में रह जाएगा, पशु गोष्ठ में बंधे रह जाऐंगे, पत्नी घर के दरवाजे तक पहुंचाने की रस्म निभाएगी, सगे सम्बन्धी शमशान तक जाऐंगे, और स्वयं को अत्यधिक प्यारा और अपनी आत्मा के समान प्रतीत होने वाला शरीर चिता तक ही हमारा साथ देगा । चिता के बाद की यात्रा में प्राणों का साथ देने वाला तो कोई और ही है, और वह है धर्म ।
इसीलिए तो कहा गया है कि - -
"धर्मानुगो गच्छति जीव एकः"
यानी जब तक अपने पास अपना शरीर है तब तक ही अपने धर्म को मजबूत कर लेना चाहिए । कलियुग में सबसे बडा धर्म है ------
"कलौ केशव कीर्तनम्"
इसीलिए तो श्री शंकराचार्य जी कहते हैं कि - - - -
भज गोविंदम् भज गोविंदम्, गोविन्दम् भज मूढमते ।।
(दोहात्मक शैली में अर्थ)
जब तक तन में प्राण हैं, तब तक का ही राग।
ज्यों ही प्राण, प्रयाण हो, खत्म सभी खटराग।।
धन रह जाए, बैंक में, गाय - भेंस - पशु गोष्ठ।
खडे यहीं रह जाऐंगे, बंगले - भवन - प्रकोष्ठ।।
पत्नी दरवाजे तलक, सम्बन्धी शमशान।
घर में लोग पचास हों, पर जाऐं इकले प्राण।।
धर्म ही ऐसा तत्व है, जो आए तब काम।
जाए अपने संग में, केवल "रोटीराम" ।।

शास्त्र वचन ~
धनानि भूमि पशुवश्च गोष्ठे, नारी गृह द्वारि सुताः शमशाने ।
देहश्चि ता यां परलोक मार्गे, धर्मानुगो गच्छति जीव एकः ।।
अर्थ - मृत्यु के बाद में, धन जमीन में, या तिजोरी में पडा रह जाता है, पशु जहाँ - तहाँ वाडे में बंधे रह जाते हैं । पत्नी घर के दरवाजे तक ही साथ देती है, पुत्र शमशान घाट तक साथ देते हैं, और शरीर चिता तक ही साथ रहता है । परलोक तक तो केवल धर्म ही जीव के साथ जाता है ।

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