मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

= १३६ =


卐 सत्यराम सा 卐
सांई सरीखा सुमिरण कीजे, सांई सरीखा गावै ।
सांई सरीखी सेवा कीजे, तब सेवक सुख पावै ॥ 
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साभार ~ Rajnish Gupta

(((( भगवान् मालिश करने आये ))))
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भक्तों की महिमा अनन्त है | हजारों ही ऐसे भक्त हैं जिन्होंने परमात्मा का नाम जप कर भक्ति करके संसार में यश कमाया | ऐसे भक्तों में "सैन भगत जी" का भी नाम आता है | वह जाति से नाई थे | 
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सैन जी के समय में भक्ति की लहर का जोर था | भक्त मंडलियाँ काशी व अन्य स्थानों में बन चुकी थी | भक्त मिलकर सत्संग किया करते थे |
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सैन नाई जी एक राजा के पास नौकर थे | वह सुबह जाकर मालिश व मुठी चापी किया करते थे | एक दिन संत आ गए | सारी रात कीर्तन होना था | प्रभु भक्ति में सैन जी इतने मग्न थे कि उन्हें राजा के पास जाने का ख्याल ही न रहा | संत सारी रात कीर्तन करते रहे |
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राजा ने सुबह उठना था और उसकी सेवा होनी थी | अपने भक्त की लाज रखने के लिए भक्तों के रक्षक ईश्वर को सैन जी का रूप धारण करके राजा के पास आना पड़ा | भगवान् ने राजा की सेवा इतनी श्रद्धा के साथ की कि राजा प्रसन्न हो गया |
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प्रसन्न होकर उसने अपने गले का हार उतार कर सैन जी के भ्रम में भगवान् को दे दिया | भगवान् मुस्कराए और हार ले लिया | अपनी माया शक्ति से उन्होंने वह हार सैन जी के गले में डाल दिया और उनको पता तक न लगा | प्रभु भक्तों के प्रेम में ऐसा बन्ध जाता कि वश में होकर कहीं नहीं जाता |
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सुबह हुई | सैन जी को होश आया कि वह महल में नहीं गए तो राजा नाराज़ हो जाएगा | यह सोच कर वह महल की तरफ चल पड़े | आगे राजा बाधवगढ़ अपने महल में टहल रहा था | 
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उसने स्नान करके नए वस्त्र पहन लिए थे | सैन उदासी के साथ राजा के पास पहुँचा तो राजा ने पूछा, सैन ! अब फिर क्यों आए ? क्या किसी और चीज़ की जरूरत है ? आज तुम्हारी सेवा से हम बहुत खुश हुए हैं |
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सैन ने सोचा कि राजा मेरे से नाराज़ है | उसने कांपते हुए बिनती की, महाराज ! क्षमा कीजिए, मैं नहीं आ सका | भक्त जन आ गए थे तो रात भर कीर्तन होता रहा | 
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यह बात सुनकर राजा बहुत हैरान हुआ | उसने कहा- आज तुम्हें क्या हो गया है, यह कैसी बातें कर रहे हो, मेरे पास तुम समय पर आए | सोए को उठाया, नाख़ून काटे, मालिश की, स्नान करवाया, कपड़े पहनाए तथा मैंने प्रसन्न होकर अपना हार उतारकर तुझे दिया | वह हार आज तुम्हारे गले में है |
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सैन ने देखा उसके गले में सचमुच ही हार था | उस समय उसे ज्ञान हुआ तथा राजा को कहने लगा, यह सत्य है महाराज ! मैं नहीं आया | मैं जिसकी भक्ति कर रहा था, उसने स्वयं आकर मेरा कार्य किया | यह माला आपने भगवान के गले में डाल दी थी और भगवान अपनी शक्ति से मेरे गले में डाल गए | यह तो प्रभु का चमत्कार है |
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यह सुनकर राजा बहुत हैरान हुआ | वह सैन जी चरणों में नतमस्तक होकर कहने लगा, भक्त जी ! अब आपको राज्य की तरफ से खर्च मिला करेगा अब आप बैठकर भक्ति किया करें | ऐसे हुए भक्त सैन नाई जी |
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(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
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