मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

= पंचेन्द्रियचरित्र(मी.च. १५-६) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*(ग्रन्थ ३) पंचेन्द्रियचरित्र*
*मीनचरित्र(३)=(२) वानर कथा*
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*कोउ बाजीगर तहां आवा ।*
*मरकट कहँ फंधा लावा ।*
*इक गागरि भुइं मैं गाडी ।*
*तिहि मांहि मिठाई छाडी ॥१५॥* 
एक दिन एक बाजीगर(बन्दर का नाच दिखाकर रोजी कमाने वाला) वहाँ आया । उसने बन्दर को पकड़ने के लिये फन्दा(=जाल, धोखे से पकड़ने की तरकीब) डाला । उसने एक हांड़ी जमीन में गाड़ दी, उसमें कुछ मिठाई रख दी ॥१५॥
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*पुनि छिद्र कियौ इक आना ।*
*मर्कट कै हाथ समाना ।*
*कर पैसे गागरि माँही ।*
*मूठी तै निकसै नाँही ॥१६॥*
फिर उस हाँडी में एक ऐसा छेद कर दिया कि उसमें बन्दर का खुला हाथ तो जा सके; परन्तु मुट्ठी बन्धने पर बाहर न निकल सके ॥१६॥ 
(क्रमशः)

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