卐 सत्यराम सा 卐
*निगुणा गुण मानै नहीं, कोटि करै जे कोइ ।*
*दादू सब कुछ सौंपिये, सो फिर बैरी होइ ॥*
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साभार ~ ऊँ नारायण
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*ॐ नारायण*
एक बहुत धनी आदमी ने सड़क के किनारे एक भिखारी से पूछा.. "तुम भीख क्यूँ मांग रहे हो जबकि तुम तन्दुरुस्त हो..."
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भिखारी ने जवाब दिया... "मेरे पास महीनों से कोई काम नहीं है... अगर आप मुझे कोई नौकरी दें तो मैं अभी से भीख मांगना छोड़ दूँ"
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धनी मुस्कुराया और कहा.. "मैं तुम्हें कोई नौकरी तो नहीं दे सकता.. लेकिन मेरे पास इससे भी अच्छा कुछ है... क्यूँ नहीं तुम मेरे व्यापर में सहयोगी बन जाओ..."
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भिखारी को विश्वास नहीं हुआ जो उसने सुना था... "ये आप क्या कह रहे हैं क्या ऐसा संभव है...?"
"हाँ मेरे पास एक चावल का प्लांट है.. तुम चावल बाजार में सप्लाई करो और जो भी लाभ होगा उसे हम महीने के अंत में आपस में बाँट लेंगे.."
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भिखारी के आँख से खुशी के आंसू निकल पड़े... "आप मेरे लिए देवदूत बन कर आये हैं मैं किस प्रकार आपका धन्यवाद करूँ.."
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फिर अचानक वो चुप हुआ और कहा.. "हम मुनाफे को कैसे बांटेंगे..? क्या मैं 20% और आप 80% लेंगे ..या मैं 10% और आप 90% लेंगे.. जो भी हो ...मैं तैयार हूँ और बहुत खुश हूँ..."
धनी आदमी ने बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ रखा.. "मुझे पैसे की कोई आवश्यकता नहीं मेरे दोस्त ..मैं पहले से ही काफी धनी हूँ ..मुझे मुनाफे का केवल 2.5% चाहिए ..ताकि तुम विकास कर सको.."
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भिखारी अपने घुटने के बल गिर पड़ा.. और रोते हुए बोला... "आप जैसा कहेंगे मैं वैसा करूंगा... मैं बहुत आभारी हूँ ...।
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और अगले दिन से भिखारी ने काम शुरू कर दिया ..बढ़िया चावल और बाजार से सस्ते... और दिन रात की मेहनत..बहुत जल्द ही उसकी बिक्री काफी बढ़ गई... रोज ब रोज व्यापर बढ़ने लगा ... और फिर वो दिन भी आया जब मुनाफा बांटना था । और वो 2.5% भी बहुत ज्यादा था... जितना उस भिखारी ने कभी सोचा भी नहीं था... अचानक एक शैतानी ख्याल उसके दिमाग में आया... "दिन रात मेहनत मैंने की है...उस धनी आदमी ने कोई भी काम नहीं किया.. सिवाय मुझे अवसर देने के..मैं उसे ये 2.5% क्यूँ दूँ ...वो इसका हकदार बिलकुल भी नहीं है..।
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और फिर वो धनी आदमी अपने नियत समय पर लाभ में अपना हिस्सा 2.5% वसूलने आया और भिखारी ने जवाब दिया "अभी कुछ हिसाब बाकि है, मुझे यहाँ नुकसान हुवा है, लोगों से लिया कर्ज चुकाना बाकी है, ऐसे बहाने बनाकर उस धनी आदमी का हिस्सा देने को टालने लगा."
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अमीर आदमी ने कहा के "मुझे पता है तुम्हे कितना लाभ हुवा है फिर क्यूँ तुम मेरा हिस्सा देने से टाल रहे हो ?"
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उस भिखारी ने तुरंत जवाब दिया "तुम इस लाभ के हकदार नहीं हो ..क्योंकि सारी मेहनत मैंने की है..."
अब सोचिये... अगर आप वो अमीर होते और भिखारी से ऐसी जवाब सुनते .. तो ...आप क्या करते ? ठीक इसी तरह......... परमात्मा ने हमें जिंदगी दी..हाथ- पैर..आँख-कान.. दिमाग दिया.. सोचने समझने की शक्ति दी...बोलने को जुबान दी...भावना दी..."
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याद रखिये ....2.5% इसे राजी खुशी चुकाईये.. और अपनी कृतकृत्यता समर्पित कीजिये.. और धन्यवाद कीजिये उसका जिसने आपको जिंदगी दी।।।।।।
*नारायण नारायण*
*लक्ष्मीनारायण भगवान की जय*
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