गुरुवार, 14 सितंबर 2017

= गुरुकृपा-अष्टक(ग्रन्थ १६/१-२दो.) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुकृपा-अष्टक(ग्रन्थ १६) =*
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*- दोहा -*
*दादू सद्गुरु के चरण, अधिक अरुण अरविन्द ।*
*दुःखहरण तारण-तरण, मुक्तकरण सुखकन्द ॥१॥*
*नमस्कार सुन्दर करत, निष् दिन बारंबार ।*
*सदा रहो मम शीस पर, सद्गुरु चरण तुम्हार ॥२॥*
सद्गुरु श्री दादूदयालजी महाराज के लालिमा सर युक्त(कोमल) चरणकमल सभी दुःखों का नाश करने वाले, भवसागर से पार उतारने वाले, मुक्ति दाता एवं अनन्त सुखराशि हैं । ग्रन्थकर्ता श्री सुन्दरदास उन चरण-कमलों में दिन-रात बारम्बार प्रणाम करते हैं ...
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और प्रार्थना करते हैं कि हे सद्गुरो ! अप्पके इन चरण कमलों की छाया मेरे सिर पर सदा बनी रहे । (अर्थात् मैं सदा आपके चरणों का दास बना रहूँ, इधर-उधर भटकूँ नहीं - ऐसा आशीर्वाद दीजिये) ॥१-२॥
(क्रमशः)

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