गुरुवार, 14 सितंबर 2017

= ४६ =

卐 सत्यराम सा 卐
*दादू माया का गुण बल करै, आपा उपजै आइ ।*
*राजस तामस सात्विकी, मन चंचल ह्वै जाइ ॥* 
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*((((((( घमंड मत करो )))))))*
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शहर से दूर एक घने जंगल में एक आम का पेड़ था और एक लंबा और घना नीम का पेड़ था | नीम का पेड़ अपने पडोसी आम के पेड़ से बात तक नहीं करता था | उसको अपने बड़े होने पर घमंड था|
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एक बार एक रानी मधुमक्खी नीम के पेड़ के पास पहुची और कहा “नीम भाई मैं आपके यहाँ पर अपने शहद का छत्ता बना लूं” ? नीम के पेड़ ने कहा “नहीं जा जाकर कहीं और अपना छत्ता बना” | इतना सुनकर आम के पेड़ ने कहा “भाई छत्ता क्यों नहीं बना लेने देते, यह तुम्हारे पेड़ पर सुरक्षित रह सकेंगी |” इतने पर नीम के पेड़ ने आम के पेड़ को जवाब दिया कि मुझे तुम्हारी सलाह कि आवश्यकता नहीं है |
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रानी मधुमक्खी ने फिर से आग्रह किया तो भी नीम के पेड़ ने मना कर दिया| रानी मधुमक्खी आम के पेड़ के पास गई और कहने लगी क्या मै आपकी शाखा पर अपना छत्ता बना लूँ ? इस पर आम के पेड़ ने उसे सहमति दे दी और रानी मधुमक्खी ने छत्ता बना लिया और सुख पूर्वक रहने लगी|
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तभी कुछ दिनों बाद कुछ व्यक्ति वहाँ पर आये और कहने लगे कि इस आम के पेड़ को काटते हैं, लेकिन एक व्यक्ति कि नजर मधुमक्खी के छत्ते पर पड़ी और उसने कहा यदि हम इस पेड़ को काटते हैं तो यह मधुमक्खी हमें नहीं छोडेगी, अतः हम नीम के पेड़ को काटते हैं, इससे हमको कोई खतरा नहीं है और लकड़ियाँ भी हमें अधिक मात्रा में मिल जाएँगी| यह सब बाते सुनकर नीम डर गया, लेकिन अब वह कर भी क्या सकता था?
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दूसरे दिन सभी व्यक्ति आये और पेड़ काटने लगे तो नीम ने चिल्लाना शुरू किया “मुझे बचाओ - मुझे बचाओ नहीं तो ये लोग मुझको काट डालेंगे” तब मधुमक्खियों ने उन लोगों पर हमला कर दिया और उन्हें वहाँ से भगा दिया| नीम के पेड़ ने मधुमक्खियों को धन्यवाद दिया तो इस पर मधुमक्खियों ने कहा “धन्यवाद हमें नही आम भाई को दो यदि वह हमसे नहीं कहते तो हम आपको नहीं बचाते”|
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कभी कभी बड़े और महान होने का एहसास हमें घमंडी और क्रूर बना देता है, जिससे हम अपने सच्चे साथियों से दूर हो जाते हैं|
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(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
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