शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

*प्रहलाद की पद्य टीका*

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*दादू झूठा साचा कर लिया, विष अमृत जाना ।*
*दुख को सुख सब को कहै, ऐसा जगत दिवाना ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ सांच का अंग)*
https://youtu.be/24HY0BTd1Jk
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*प्रहलाद की पद्य टीका*
इन्दव –
*शंकर आदि डरे न इसी रिस,*
*पास न जावत श्री हु डरी है ।*
*भेज दियो प्रहलाद प्रभु ढिग,*
*जाय पगौं सु प्रणाम करी है ॥*
*गोद उठाय दियो शिर पै कर,*
*देख दया उर येह धरी है ।*
*दूर करो दुख या जग को सब,*
*मो जब ध्यौ तब माय बुरी है ॥८६॥*
भगवान् नृसिंह को देखकर शंकरादि देवता भी डर गई थे और कहते थे कि – ऐसा क्रोध तो पहले कभी नहीं देखा था । लक्ष्मी जी भी डर गई थीं, इससे समीप नहीं जाती थीं ।
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फिर सबने प्रहलाद को नृसिंह जी के पास भेजा । प्रहलाद ने जाकर भगवान् के चरणों में प्रणाम किया ।
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भगवान् ने प्रहलाद को गोद में उठा लिया । शिर पर हाथ रक्खा, तथा हृदय में यह दया धारण करते हुये कि इसे कुछ दूं, बोले – तू इच्छानुसार वर माँग ले ।
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प्रहलाद ने कहा – आप इस सर्व जगत का दुःख दूर कर दें । यही वर मुझे दीजिये । भगवान् में कहा – जो दुःखी हो उसे ला, उसका दुःख दूर कर दिया जायगा । प्रहलाद को कोई भी दुःखी नहीं मिला । तब प्रहलाद ने कहा – प्रभो ! आपकी माया बहुत बुरी है । उसके अधीन हुये अति दुःखी होकर भी कोई नहीं आता है ।
(क्रमशः)

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