गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

= ५ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*दादू राम विसार कर, कीये बहु अपराध ।*
*लाजों मारे संत सब, नांव हमारा साध ॥*
==================
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
.
श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- माता पिता का कर्त्तव्य
#######################
एक बाई किसी कार्यवश कहीं जा रही थी मार्ग में एक युवक ने उससे हंसी की । बाई ने सोचा, मेरा मन सर्वदा ठीक है, फिर इसने मेरे से हंसी क्यों की ? संभव है मेरी माता के मरने के पश्चात पिता का मन ठीक नहीं रहता हो । घर आकर कमरा बंद कर बैठ गई ।
पिता आया, कमरा खोलने को कहा, किंतु बाई बोली - कमरा नही खोलूंगी, कारण मैं तुम्हारा मुख नहीं देखना चाहती । तुम्हारी इतनी आयु हो गई और मेरी माता भी मर गई फिर भी तुम अपना मन ठीक क्यों नही रखते हो ? 
पिता - मेरे मन का तुझे क्या पता ? पुत्री - मेरे से आज एक युवक ने हंसी की है । इससे मैं समझती हूँ कि आपका मन ठीक नहीं रहता है ।
पिता ने भी मान लिया । इस कथा से सूचित होता है कि माता पिता की शुभाशुभ भावनाओं से सन्तति पर भी दुख सुख आते हैं । इस कारण माता पिता को सदा शुद्ध भावना रखनी चाहिये ।
माता पिता के दोष से, संतति पर दुख आत ।
सुता कहे मन ठीक तुम, राखत क्यों नहिं तात ॥२०॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें