सोमवार, 15 जुलाई 2024

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*परिचय का पय प्रेम रस, जे कोई पीवै ।*
*मतवाला माता रहै, यों दादू जीवै ॥*
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*साभार ~ @Subhash Jain*
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हिंदू पैदा होते से ही वेद की पूजा में लग जाता है। मुसलमान पैदा होते से ही कुरान की रटन में लग जाता है। जैन पैदा होते से महावीर को कंठस्थ कर लेता है।
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अब ये जो लकीरें छूट गई हैं जमीन, पर, ये तुम्हारी आत्मा पर खिंच जाती हैं। इनके कारण तुम की खाली नहीं हो पाते। इनके कारण तुम कभी शून्य नहीं हो पाते इनके कारण तुम कभी शून्य नहीं हो पाते। इनके कारण कभी तुम ध्यान को उपलब्ध नहीं हो पाते। और मजा यह है, कि ये सभी शास्त्र ध्यान की बातें करते हैं, शून्य की बात करते हैं। तुम भी शून्य और ध्यान की बात करने लगते हो। लेकिन वह बात ही होती है। बात में से बात निकलती जाती है। लेकिन तुम कोरे के कोरे रह जाते हो।
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तुम्हारा जीवन तो तभी समृद्ध होगा, जब तुम्हारा वेद तुम्हारे भीतर पैदा हो जाए, वह उधार न हो। उस वेद को ही हम असली वेद कहते हैं, जो तुम्हारे ध्यान में जन्मेगा। निश्चित ही जिस दिन तुम्हारा वेद जन्म जाएगा, उस दिन पुराने वेद को भी तुम अगर पढ़ोगे तो समझोगे कि ठीक है। तुम गवाही हो जाओगे।
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इस बात को थोड़ा ठीक से समझ लेना, क्योंकि नाजुक है। वेद से तुम्हें ज्ञान नहीं मिलेगा। लेकिन ज्ञान अगर तुम्हें अपने ध्यान में मिल जाए, तो तुम वेद के गवाह हो जाओगे कि वह ठीक है। तुमने भी वैसा ही जाना। तुमने भी वही जाना, जो ऋषियों ने कहा है। लेकिन ऋषियों ने क्या कहा है, इसको कंठस्थ कर के कोई कभी ज्ञान को उपलब्ध नहीं होता। ज्ञान को उपलब्ध होकर ऋषियों ने जो कहा है वह ठीक है, सम्यक है, यह प्रतीत आती है। तब सभी शास्त्र सच हो जाते हैं।
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और इस फर्क को भी समझ लो। अगर तुमने वेद को कंठस्थ किया तो कुरान गलत रहेगा। सही न हो सकता। क्योंकि सत्य का तो तुम्हें पता नहीं है। तुम्हें शब्दों का पता है। वेद अलग शब्दों का उपयोग करता है, कुरान अलग शब्दों का उपयोग करता है। उन शब्दों में मेल न होगा। बाइबिल और अलग शब्दों का उपयोग करती है। तालमुद और अलग शब्दों का उपयोग करता है, उनमें मेल न होगा। तुम पाओगे कि वेद सही, सब गलत। शेष सब गलत। महावीर सही, तो कृष्ण गलत। कृष्ण सही तो बुद्ध गलत।
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सब के सही होने का तुम्हें पता नहीं चल सकता। इसलिए तुम शास्त्र से बंधे रहोगे। जिस दिन तुम्हारा वेद पैदा हो जाएगा, तुम्हारा कुरान भीतर, तुम्हारे प्राण का गीत पैदा होगा, तुम्हारी गीता पैदा होगी, वह भगवदगीता है। जब तुम्हारा भगवान गा उठेगा, तभी भवगदगीता। उस दिन तुम अचानक पाओगे कि वेद ही सही नहीं है, कुरान भी एकदम सही है। बाइबिल, तालमुद सब एक-साथ सही हैं।
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सत्य इतना बड़ा है कि सभी शब्दों को समा लेता है। सत्य इतना बड़ा है कि सभी शास्त्र उसके साथ संयुक्त हो जाते हैं, एक हो जाते हैं। सत्य तो सागर जैसा है जिसमें सभी नदियां गिर जाती हैं। गंगा ही गिरती है ऐसा नहीं है, सिंधु भी वहीं गिर जाती है। गंगा ही पहुंचती है सागर तक ऐसा नहीं है; गोदावरी भी वहीं पहुंच जाती है। और गौदावरी, गंगाओं को छोड़ दें, छोटे-छोटे नाले, जिनका कोई नाम भी नहीं, वे भी पहुंच जाते हैं। अनाम भी पहुंच जाते हैं।
OSHO

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