परमगुरु ब्रह्मर्षि श्री दादूदयाल जी महाराज की अनुभव वाणी

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025

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*कबहूँ पावक कबहूँ पाणी,*
*धर अम्बर गुण बाइ ।*
*कबहूँ कुंजर कबहूँ कीड़ी,*
*नर पशुवा ह्वै जाइ ॥*
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*साभार ~ @Subhash Jain*
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जिस आदमी ने हिरोशिमा पर बम गिराया, उससे दूसरे दिन सुबह पूछा, तो उसने कहा : मैं तो निश्चिंतता से सोया, क्योंकि मैंने आज्ञा का पालन किया एक लाख आदमी मर गए और यह आदमी रात निश्चिंतता से सोया। तो इसकी बुद्धि बिलकुल क्षीण हो गई। 
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इसने एक बार भी रात यह नहीं सोचा कि एक लाख लोग ! मेरे बम गिराने से राख हो गये ! अपार पीडा झेली उन्होंने। नरक भी फीका है उस पीडा सामने। छोटे बच्चे थे, निरीह बच्चे थे । गर्भ में थे बच्चे, वे भी जलकर राख हो गए ! स्त्रीयां थी, जिन्होंने किसी का कुछ नहीं बिगाडा था। नागरिक थे।  
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क्योंकि हिरोशिमा के कोई मिलिटरी कैंप नहीं था, आम आदमियों की बस्ती थी। लेकिन इस आदमी को निश्चिंतता रही, रात आराम से सोया, काम पूरा कर आया ! जो आज्ञा मिली थी, पूरी कर दी। इस आदमी के साथ जो दूसरा आदमी बैठा था, जिसका जिम्मा था कि वह बताएगा, कब बम गिराया जाए, जो सिग्नल देगा बम गिराने का...
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वह आदमी नहीं सो सका रातभर। रातभर क्या, वह तीन महीने तक नहीं सो सका। वे जो लपटें उसने देखी थी, वह जो चीख पुकार सुनी थी ! उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। उसके मन में यह धाव इतना गहरा लगा.... और उसे पता नहीं था कि यह जो आज्ञा दे रहा हैं, यह एटम बम गिरेगा इससे। यह तो उसे कुछ पता नहीं था। 
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वह हमेशा ही साथ होता था, बम गिराने के लिए आज्ञा देता था। जैसे साधारण बम थे, उसने सोचा यह भी साधारण बम है उसे कुछ पता नहीं था। उसे तो सिर्फ सिग्नल देना था कि यह ठीक जगह आ गई, अब बम गिरा दो। बम में क्या है.... साधारण बम है कि एटम बम है इसे कुछ पता नहीं था। 
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यह तो दूसरे दिन उसे पता चला कि जो भयानक कांड हो गया है, उसमें मेरा हाथ है। वह बडा उद्धिग्न हो गया। उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। और अमरीका में प्रचार करने लगा जा-जा कर, गांव-गांव अणु बम पर पाबंदी लगनी चाहिए। और उसकी बात का बल था, क्योंकि उस आदमी ने हिरोशिमा अपनी आंख से देखा था। 
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नीचे उठती लपटें और चीख- पुकार और वह नरक ! वह ताडंव नृत्य मृत्यु का ! उसकी बात में बल था। सरकार थोडी भयभीत हुई। उसकी बात लोग सुनते थे, सरकार ने एक आयोग नियुक्त किया बीस मनोवैज्ञानिकों का और उन मनोवैज्ञानिकों के आयोग ने उस आदमी को पागल करार देकर पागलखाने में रख दिया।
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अब यह बडी अजीब बात हुई ! पहला आदमी पागल मालूम होता है, जिसने एक लाख लोग मार डाले और रात कहता है कि मैं निश्चिंतता से सोया, क्योंकि आज्ञा पूरी कर दी। यह दूसरा आदमी पागल नहीं है, मगर सरकार इसको पागल धोषित करवाती है।
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इस दुनिया में अगर तुम्हारे पास ह्रदय है, तो तुम पागल समझे जाओगे। और अगर तुम्हारे पास संवेदनशीलता है, तो तुम पागल समझे जाओगे। यह दुनिया बडी अजीब है यहां पागल राजनेता बने बैठे हैं ! यहां पागलों के गिरोह राजधानियों में अड्डा जमाए बैठे हैं !
ओशो ❤️🙏

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