परमगुरु ब्रह्मर्षि श्री दादूदयाल जी महाराज की अनुभव वाणी

गुरुवार, 16 मार्च 2017

= स्वप्नप्रबोध(ग्रन्थ ५/२५-६) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*(ग्रन्थ ५) स्वप्नप्रबोध*
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*स्वप्नै में भारत भयौ, स्वप्नै यादव नाश ।*
*सुंदर जाग्यौ स्वप्न तें, मिथ्या बचन बिलास ॥२५॥*
स्वप्न में कोई महाभारत युद्ध देखे, दूसरा कोई व्यक्ति यादवों की सेना का संहार देखे, जागने पर वे जान जाते हैं कि जो कुछ हमने अभी स्वप्नावस्था में देखा है सब वाग्विलासमात्र था, सचाई कुछ भी नहीं थी ॥२५॥ 
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*स्वप्न सकल संसार है, स्वप्ना तीनौं लोक ।*
*सुंदर जाग्यौ स्वप्न तें, तब सब जान्यौ फोक ॥२६॥*
 ॥ समाप्तोऽयं स्वप्नप्रबोधग्रन्थः ॥ 
महाराज श्रीसुन्दरदासजी कहते हैं - यह सारी त्रिगुणात्मिका सृष्टि(संसार), ये तीनों लोक तुरीयातीतावस्था प्राप्त योगी के लिये स्वप्नतुल्य है, अतः वह अपने विवेक से इस सम्पूर्ण सृष्टि(मायाप्रपंच) को मिथ्या समझता है । वह स्वानुभव से ब्रह्म-साक्षात्कार के बाद समझ चुका है कि यह सब कुछ निःसार है । अतः साधक को इस मिथ्या प्रपंच में नहीं पड़ना चाहिये ॥२६॥ 
॥ यह स्वप्नप्रबोध ग्रन्थ समाप्त ॥
(क्रमशः)

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