*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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६ आचार्य कृष्णदेव जी
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मेडता में निवास ~
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इधर मारोठ के पांचों पानों के ठाकुरों ने कृष्णदेवजी महाराज के योग - क्षेम का सब प्रबन्ध कर दिया । फिर शनै: शनै: कृष्णदेवजी महाराज के आने की घटना सब मारवाड में फैल गई । जोधपुर नरेश को तथा नागौर नरेश को भी किसी ने सुनाया और मेडता नरेश कृष्णसिंह दादूजी के परमभक्त हुये हैं ।
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अत: दादूजी के समय से ही मेडता नरेशों की नारायणा दादूधाम पर अटूट श्रद्धा रहती आई थी और मेडतियों के मुखिया मेडता नरेश ही थे । उनको भी उक्त घटना का पता चला । फिर सभी मारवाड के नरेश तथा जागीरदार भक्तों आदि ने विचार किया कि - कृष्णदेवजी को “ कहां रखा जाय !” जोधपुर नरेश बखतसिंह जी ने कहा - मैं जोधपुर ले जाऊंगा ।
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नागौर नरेश बखतसिंहजी ने कहा - नहीं महाराज को मैं नागौर ले जाऊंगा । दोनों राजाओं में विवाद बढा । तब मेडता के शासक ने कहा - महाराजाओं ! महाराज मेडते ही रहें यही मेरी हार्दिक इच्छा है । कृष्णदेवजी भी मेडता में ही रहना चाहते थे । अत: उन्होंने मेडते में रहना स्वीकार करके दोनों राजाओं को राजी कर दिया । तब जोधपुर नरेश तथा नागौर नरेश ने तथा अन्य सब ने मेडता के शासक की बात मान ली ।
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और कहा - मेडता महाराज के लिये अच्छा ही रहेगा फिर मेडता के शासक मारोठ से कृष्णदेवजी महाराज को मेडता ले आये और बेबचा तालाब पर जो राजमहल था वह तथा आधा बगीचा कृष्णदेवजी महाराज को निवास के लिये समर्पण कर दिया । फिर महाराज अपने मंडल के सहित उक्त राजमहल में रहने लगे, भोजन के लिये महाराज को नगर के राजमहल में बुलाते थे ।
(क्रमशः)

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