🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*(ग्रन्थ ५) स्वप्नप्रबोध*
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*स्वप्नै मैं राजा कहै, स्वप्नै ही मैं रंक ।*
*सुन्दर जाग्यौ स्वप्न तें, नहिं सांथरौ प्रयंक ॥५॥*
कोई स्वप्न में राजा हो जाय या कोई दूसरा भिखारी हो जाय, जागने पर न तो वह अपने में राजा का अभिमान करता है, न भिखारीपन की ग्लानि । वे दोनों तो अपनी-अपनी स्थिति -घास का बिछौना या पलंग -पर ही मस्त रहते हैं ॥५॥
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*स्वप्नै मैं हत्या लगी, स्वप्नै न्हायौ गंग ।*
*सुन्दर जाग्यौ स्वप्न तें, पाप न पुन्य प्रसंग ॥६॥*
स्वप्न में कोई पुरुष हत्या कर दे अथ वा स्वप्न में गंगा स्नान कर ले तो जागने पर न तो उस हत्यारे को कोई पाप लगता है न गंगा स्नान करने वाले को पुण्य ॥६॥
(क्रमशः)

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