परमगुरु ब्रह्मर्षि श्री दादूदयाल जी महाराज की अनुभव वाणी

बुधवार, 22 मार्च 2017

= वेदविचार(ग्रन्थ ६/१२-३) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*(ग्रन्थ ६) वेदविचार*
*= वेद के कर्मकाण्ड की उपयोगिता =*
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*ज्यौं पशु हरयाई करहिं, खेत बिराने खांहि ।*
*खूंटे बांधे आनि सब, छूटि न कतहू जाँहिं ॥१२॥*
जैसे किसी पशु को जहाँ-तहाँ घूम कर स्वच्छन्दता से हरे घास या हरे खेत को चरने की आदत पड़ जाती है, और अपने या पराये खेत को घास चरने के लिये रोंद डालता है, तब मालिक उसे पकड़ कर एक मजबूत खूँटे से बाँध देता है । अब वह छूट कर कहीं अन्यत्र नहीं जा पाता ॥१२॥
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*बर्णाश्रम बंधेज करि, अपने अपने धर्म ।*
*ब्राह्मण क्षत्रिय बैश्य पुनि, शूद्र दिढाये कर्म ॥१३॥* 
उन कर्मकाण्ड के मन्त्रों द्वारा वर्णाश्रम की व्यवस्था बाँध कर लोगों से कहा गया कि वे अपने-अपने वर्ण तथा धर्म के कर्तव्यों का मनोयोग से आचरण करें । इन ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र चारों वर्णों को अपना-अपना कर्तव्य-बोध कराकर उन्हें उसी में दृढ़ता से लगे रहने का आदेश दिया गया ॥१३॥ 
(क्रमशः)

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