बुधवार, 19 अप्रैल 2017

= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८/१९-२१) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
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*=गुरुदेव का आगमन=*
*कोउक पूरब पुन्य तें, सद्गुरु प्रगटे आइ ।*
*परबस देखि दया करी, श्रवनूं लियौ बुलाइ ॥१९॥*
उन लोगों के पूर्व जन्म के पुण्य प्रताप से वहाँ कोई सद्गुरु आ पहुँचे । उनहोंने उन लोगों को परवरस(पराधीन) और दुःखी देखा, देखकर उन्हें दया आयी । तब उनहोंने बड़े लड़के श्रवनूं को धीरे से अपने पास बुलाया ॥१९॥
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*= गुरदेव का श्रवनूं को उपदेश =*
*तासौं छानै सैं कही, गुप्त मते की बात ।*
*तुमकौं ठग लीहे फिरहिं, काहे की मुलाक़ात१ ॥२०॥*
{१. यह श्रवण इन्द्रिय का रूपक आख्यायिका के आकार में इतना सुन्दर सरल भाषा में बाँधा गया है कि पढते ही मन मुदित होता है । वस्तुतः ज्ञान का प्रारम्भ और साधन का श्रीगणेश श्रवण(सुनने) से ही होता है । शिक्षा की सच्ची प्रणाली भी श्रवण से ही है ।} उसके कान में चुपके से(=छानै से) कहा कि मैं तुम्हें तुम्हारे हित में एक यह गोपनीय बात बता रहा हूँ कि तुम सब ठगों से घिरे हुए हो । तुम्हारी अब कुशल नहीं है । एक न एक दिन तुम्हारा पूरा परिवार इनके चक्कर में नष्ट हो जायगा ॥२०॥
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*ये ठग तुम कौं मारि हैं, लूटि लेहिं सब माल ।*
*चेति सकहु तौ चेतियौ, ठग सु नहीं ये काल ॥२१॥*
ये तुम्हारा सब माल-मत्ता लूट लेंगें और तुम लोगों की ह्त्या भी कर देंगे । अब भी तुम लोग इनसे सावधान हो सको तो हो जाओ । ये ठग नहीं हैं, अपितु तुम लोगों के लिए साक्षात् यमदूत है ॥२१॥
(क्रमशः)

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