सोमवार, 29 जुलाई 2024

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*साचा राता सांच सौं, झूठा राता झूठ ।*
*दादू न्याय निबेरिये, सब साधों को पूछ ॥*
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*साभार ~ @Subhash Jain*
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सूफी कहानी है। एक गांव में एक सूफी आया। उसे किसी यात्रा पर जाना था। पहाड़ों में छिपा हुआ एक छोटा सा मंदिर था, जिसकी वह तलाश कर रहा था। तो उस सूफी फकीर ने गांव के लोगों से पूछा एक चाय घर के सामने जा कर कि इस गांव में सबसे सच्चा आदमी कौन है ? और सबसे झूठा आदमी कौन है ? गांव के लोगों ने बता दिया। छोटे गांव में सभी को सभी का पता होता है कि सबसे झूठा आदमी कौन है, सबसे सच्चा आदमी कौन है।
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वह सूफी सबसे सच्चे आदमी के पास गया पहले। और उसने पूछा कि मैं उस छिपे हुए मंदिर की तरफ जाना चाहता हूं, जिसकी चर्चा शास्त्रों में सुनी है। अगर तुम्हें मार्ग पता हो तो सबसे सुगम मार्ग क्या है, वह मुझे बता दो। तो उसने कहा, सबसे सुगम मार्ग पहाड़ों से ही हो कर जाता है। और इस-इस विधि से तुम चलो, लेकिन पहाड़ों से गुजरना होगा।
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वह आदमी फिर सब से झूठे आदमी के पास गया। और बड़ा हैरान हुआ। क्योंकि उस झूठे आदमी से भी उसने पूछा, तो उसने कहा कि सबसे सुगम मार्ग पहाड़ों से गुजरता है। और यह-यह मार्ग है और तुम्हें इस-इस भांति जाना होगा। दोनों के उत्तर समान थे। तब वह बड़ा हैरान हुआ। तब उसने गांव में जा कर तलाश की कि यहां कोई सूफी तो नहीं है ! कोई फकीर तो नहीं है !
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ध्यान रखना, सच्चा आदमी, झूठा आदमी दो छोर हैं। और जब कोई आदमी संतत्व को उपलब्ध होता है तो दोनों के पार होता है। अब यह बड़ी मुश्किल में पड़ गया कि किसकी मानूं ? और उसने सोचा था कि झूठा आदमी विपरीत बात कहेगा। लेकिन पापी, पुण्यात्मा दोनों ने एक ही उत्तर दिया, अब कौन सही है ?
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तो वह एक सूफी फकीर का पता लगा कर उसके पास गया। उस फकीर ने कहा, दोनों ने एक सा उत्तर दिया है, लेकिन दोनों की नजर अलग-अलग है। सच्चे आदमी ने इसलिए तुम्हें कहा कि तुम पहाड़ से हो कर जाओ…। एक मार्ग नदी से हो कर भी जाता है, वह उसे पता है। लेकिन न तो तुम्हारे पास नाव है जिससे तुम यात्रा कर सको, और न नाव से यात्रा करने के अन्य साधन और सामग्री तुम्हारे पास है। फिर तुम्हारे पास यह गधा भी है जिस पर तुम सवार हो। यह पहाड़ पर तो सहयोगी होगा, नाव में उपद्रव होगा। इसलिए तुम्हारी पूरी स्थिति को सोच कर उसने कहा कि तुम पहाड़ से जाओ। सुगम मार्ग तो नाव से है। लेकिन तुम्हारी स्थिति देख कर सुगम मार्ग पहाड़ से बताया गया।
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और झूठे आदमी ने इसलिए पहाड़ से कहा, ताकि तुम मुसीबत में पड़ो। सुगम मार्ग तो नाव से है, नदी से है, और झूठे आदमी ने इसलिए कहा है कि पहाड़ से जाओ, ताकि तुम मुसीबत में पड़ो। वह तुम्हें सताना चाहता है। उत्तर एक से हैं, दृष्टि भिन्न है।
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कृत्य भी एक से हो सकते हैं। इसलिए कृत्यों से कुछ तय नहीं होता। अंतर्भाव से तय होता है।
ओशो

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