परमगुरु ब्रह्मर्षि श्री दादूदयाल जी महाराज की अनुभव वाणी

बुधवार, 29 मार्च 2017

= उक्त अनूप(ग्रन्थ ७/६-७) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= उक्त अनूप१ (ग्रन्थ ७) =*
*= तमोगुण की वृत्ति =*
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*पर धन पर दारा गवन, चोरी हिंसा कृत्य ।*
*निद्रा तन्द्रा आलसं, ये तम गुण की ब्रत्य ॥६॥*
दूसरे के धन को छीनना, परायी स्त्री के साथ सम्भोग करना, चोरी करना, हिंसात्मक कार्य, निद्रा, तन्द्रा(झपकी लेना, आलस्य) - ये चेष्टायें तमोगुण की है ॥६॥
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*तामस गुण की वृत्ति मैं, होइ तामसी आप ।*
*कष्ट परै जब आइ कैं, मानै दुख संताप ॥७॥*
तमोगुण की अधिकता वाली वृत्ति के समय आत्मा भी तामस गुण का अनुभव करने लगता है और तामसिक चेष्टाओं के कारण शरीर पर कोई कष्ट या ताप पड़ता है तो आत्मा उसे अपने में अनुभव करता है ॥७॥
(क्रमशः)

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