शनिवार, 20 अप्रैल 2024

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*दादू है को भय घणां, नाहीं को कुछ नाहीं ।*
*दादू नाहीं होइ रहु, अपणे साहिब माहिं ॥*
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*साभार ~ @Subhash Jain*
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*कुत्ता मेरा पहला गुरु था....*
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सूफी फकीर हुआ हसन; मरते वक्त किसी ने पूछा कि तेरे गुरु कौन थे ? उसने कहा, मत पूछो वह बात मत छेड़ो तुम समझ न पाओगे अब मेरे पास ज्यादा समय भी नहीं है मैं मरने के करीब हूं ज्यादा समझा भी न सकूंगा उत्सुक हो गए लोग उन्होंने कहा, अब जा ही रहे हो, यह उलझन मत छोड़ जाओ, वरना हम सदा पछताएंगे जरा से में कह दो अभी तो कुछ सांसें बाकी हैं उसने कहा, इतना ही समझो कि .....
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एक नदी के किनारे बैठा था और एक कुत्ता आया बड़ा प्यासा था, हांफ रहा था नदी में झांक कर देखा, वहां उसे दूसरा कुत्ता दिखाई पड़ा घबड़ा गया भौंका, तो दूसरा कुत्ता भौंका लेकिन प्यास बड़ी थी प्यास ऐसी थी कि भय के बावजूद भी उसे नदी में कूदना ही पड़ा वह हिम्मत करके...
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कई बार रुका, कंपा, और फिर कूद ही गया कूदते ही नदी में जो कुत्ता दिखाई पड़ता था वह विलीन हो गया वह तो था तो नहीं, वह तो केवल उसकी ही छाया थी नदी के किनारे बैठे देख रहा था, मैंने उसे नमस्कार किया वह मेरा पहला गुरु था फिर तो बहुत गुरु हुए उस दिन मैंने जान लिया कि जीवन में जहां-जहां भय है, अपनी ही छाया है और प्यास ऐसी होनी चाहिए कि भय के बावजूद उतर जाओ....
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हसन ने कहा, कुत्ते को देख कर मैं यह समझ गया कि भय को एक तरफ रखना होगा एक बात समझ में आ गई कि अगर परमात्मा मुझे नहीं मिल रहा है तो एक ही बात है, मेरी प्यास काफी नहीं है मेरी प्यास अधूरी है और कुत्ता भी हिम्मत कर गया तो हसन ने कहा, मैंने कहा, उठ हसन, अब हिम्मत कर इस कुत्ते से कुछ सीख.
Osho....Zorba The Buddha

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