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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

(हनुमान चालीसा ~ ४२)


🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*दादू आनन्द आत्मा,*
*अविनाशी के साथ ।* 
*प्राणनाथ हिरदै बसै,*
*तो सकल पदार्थ हाथ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा)
*राम लखन सीता सहित,*
*हृदय बसहु सूरभूप॥*
अर्थ - हे देवराज ! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।

(हनुमान चालीसा - ४१)

🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*सब कंपैं करतार तैं,*
*भव-बंधन पाशा ।* 
*अरि रिपु भंजन भय गता,*
*सब विघ्न विनाशा ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. १८१)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा)
*पवन तनय संकट हरन,*
*मंगल मूरति रूप।*
अर्थ - हे संकट मोचन पवन कुमार ! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

(हनुमान चालीसा - ४०)

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🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*दादू अविनाशी अंग तेज का,*
*ऐसा तत्त्व अनूप ।* 
*सो हम देख्या नैन भरि,*
*सुन्दर सहज स्वरूप ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ परिचय का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ४०)
*तुलसीदास सदा हरि चेरा,*
*कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥४०॥*
अर्थ - हे नाथ हनुमान जी ! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।

(हनुमान चालीसा - ३९)


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*दादू वाणी प्रेम की,*
*कमल विकासै होहि ।* 
*साधु शब्द माता कहैं,*
*तिन शब्दों मोह्या मोहि ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शब्द का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ३९)
*जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,*
*होय सिद्धि साखी गौरीसा॥३९॥*
अर्थ - भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।

(हनुमान चालीसा - ३८)

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*जे जन सेवक बहुत बिगारे,*
*तो साहिब गरवा दोष निवारे ॥* 
*समर्थ साँई साहिब मेरा,*
*दादू दास दीन है तेरा ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. १५)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ३८)
*जो सत बार पाठ कर कोई,*
*छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥*
अर्थ - जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।

(हनुमान चालीसा - ३७)

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*तुम हीं तातं तुम ही मातं,*
*तुम ही जातं, तुम्ह ही न्यातं ॥* 
*कुल कुटुम्ब तूँ सब परिवारा,*
*दादू का तूँ तारणहारा ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. १०७)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ३७)
*जय जय जय हनुमान गोसाईं,* 
*कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥*
अर्थ - हे स्वामी हनुमान जी ! आपकी जय हो, जय हो, जय हो ! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।

(हनुमान चालीसा - ३६)

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*दादू सब जग विष भर्या,*
*निर्विष बिरला कोइ ।* 
*सोई निर्विष होइगा,*
*जाके नाम निरंजन होइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ३६)
*संकट कटै मिटै सब पीरा,*
*जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥*
अर्थ - हे वीर हनुमान जी ! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है।

बुधवार, 17 अप्रैल 2019

(हनुमान चालीसा - ३५)

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*दादू तन मन लाइ कर,*
*सेवा दृढ़ कर लेइ ।* 
*ऐसा समर्थ राम है,*
*जे मांगै सो देइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ समर्थता का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ३५)
*और देवता चित न धरई,* 
*हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥*
अर्थ - हे हनुमान जी ! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।

(हनुमान चालीसा - ३४)


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*शरण तुम्हारी अंतर वास,*
*चरण कमल तहँ देहु निवास ॥*
*अब दादू मन अनत न जाइ,*
*अंतर वेधि रह्यो ल्यौ लाइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. १९)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ३४)
*अन्त काल रघुबर पुर जाई,*
*जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥३४॥*
अर्थ - अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते हैं और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।

मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

(हनुमान चालीसा - ३३)

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*ज्यों यहु काया जीव की,*
*त्यों सांई के साध ।*
*दादू सब संतोषिये,*
*मांहि आप अगाध ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ३३)
*तुम्हरे भजन राम को पावै,*
*जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥*
अर्थ - आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते हैं और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते हैं।

(हनुमान चालीसा - ३२)

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*आदि अंत केते कलि जागे,*
*अमर भये अविनासी लागे ॥* 
*राम रसायन दादू माते,*
*अविचल भये राम रंग राते ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. ५१)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ३२)
*राम रसायन तुम्हरे पासा,*
*सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥*
अर्थ - आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

(हनुमान चालीसा - ३१)

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*वाहला माहरा !*
*अठ सिधि नौ निधि आँगणें,* 
*परम पदारथ चार, माहरा वाहला रे ।* 
*दादू जन देखे नहीं, रातो सिरजनहार,* 
*माहरा वाहला रे ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. ४०९)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ३१)
*अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,*
*अस बर दीन जानकी माता॥३१॥*
अर्थ - आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं।
१.) अणिमा- जिससे साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ में प्रवेश कर जाता है।
२.) महिमा- जिसमें योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
३.) गरिमा- जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
४.) लघिमा- जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
५.) प्राप्ति- जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
६.) प्राकाम्य- जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी में समा सकता है, आकाश में उड़ सकता है।
७.) ईशित्व- जिससे सब पर शासन का सामर्थ्य हो जाता है।
८.) वशित्व- जिससे दूसरों को वश में किया जाता है।

(हनुमान चालीसा - ३०)

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*राम जपै रुचि साधु को,*
*साधु जपै रुचि राम ।* 
*दादू दोनों एक टग,*
*यहु आरम्भ यहु काम ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - ३०)
*साधु सन्त के तुम रखवारे,*
*असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥*
अर्थ - हे श्री राम के दुलारे ! आप सज्जनों की रक्षा करते हैं और दुष्टों का नाश करते हैं।

रविवार, 14 अप्रैल 2019

(हनुमान चालीसा - २९)

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*दादू स्वर्ग पयाल में,*
*साचा लेवे नाम ।*
*सकल लोक सिर देखिये,*
*प्रकट सब ही ठाम ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - २९)
*चारों जुग परताप तुम्हारा,*
*है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥*
अर्थ - चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।

(हनुमान चालीसा - २८)


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*समता के घर सहज में,*
*दादू दुविध्या नांहि ।*
*सांई समर्थ सब किया,*
*समझि देख मन मांहि ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ समर्थता का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - २८)
*और मनोरथ जो कोइ लावै,*
*सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥*
अर्थ - जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।

शनिवार, 13 अप्रैल 2019

(हनुमान चालीसा - २७)

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*राम सरीखे ह्वै रहैं,*
*यहु नांही उनहार ।* 
*दादू साधू अमर हैं,*
*विनशै सब संसार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ सजीवन का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - २७)
*सब पर राम तपस्वी राजा,*
*तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥*
अर्थ - तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ हैं, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।

(हनुमान चालीसा - २६)

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*दादू दौं लागी जग प्रज्वलै,*
*घट घट सब संसार ।* 
*हम तैं कछू न होत है,*
*तुम बरसि बुझावणहार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ बिनती का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - २६)
*संकट तें हनुमान छुड़ावै,*
*मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥२६॥*
अर्थ - हे हनुमान जी ! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आप में रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

(हनुमान चालीसा - २५)

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🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*दादू राम नाम निज औषधि,*
*काटै कोटि विकार ।*
*विषम व्याधि थैं ऊबरै,*
*काया कंचन सार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - २५)
*नासै रोग हरै सब पीरा,*
*जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥२५॥*
अर्थ - वीर हनुमान जी ! आपकी तरह निरंतर राम नाम जप करने से सब रोग चले जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।

(हनुमान चालीसा - २४)

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🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*कालँ जालँ सोचितँ,*
*भयानक यम - किंकरँ२ ।*
*हर्ष मुदितँ सद्गुरुँ,*
*दादू अविगत दर्शनँ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - २४)
*भूत पिशाच निकट नहिं आवै,*
*महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥*
अर्थ - जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।

गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

(हनुमान चालीसा - २३)

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🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*सब कंपैं करतार तैं,*
*भव-बंधन पाशा ।* 
*अरि रिपु भंजन भय गता,*
*सब विघ्न विनाशा ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. १८१)*
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*राम नाम लेखन कला संयोजन* ~ Shobha Jayprakash Atal
(हनुमान चालीसा - २३)
*आपन तेज सम्हारो आपै,*
*तीनों लोक हांक तें कांपै॥२३॥*
अर्थ - आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते है।