🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*तब हंसा मन आनंद होइ,*
*वस्तु अगोचर लखै रे सोइ ।*
*जा को हरि लखावै आप,*
*ताहि न लिपैं पुन्य न पाप ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. ४०५)*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(३०)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥
निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥३०॥
अयोध्या का समृद्ध स्थल, तामरस(कमल) पर विराजमान राज्यलक्ष्मी का सर्वोत्तम निवास बना । सर्वस्व न्योछावर करानेवाले अजेय राम के प्रतापी शासन का उदय हुआ ॥३०॥
The land of Ayodhya was bright and rich and became the abode of Lakshmi. In Rama, the invincible, the glory of kingship was resplendent.(30)
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(३०)
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।
गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥३०॥
श्रीसत्य(सत्यभामा) के आँगन में अवस्थित पारिजात में पुष्प प्रस्फुटित हुए, सत्यभामा, इस निर्मल संपत्ति को पा कृष्ण की प्रथम भार्या रुक्मिणी के प्रति ईर्ष्याभाव का त्याग कर, कृष्ण संग सुखपूर्वक रहने लगी ॥३०॥
The parijatha that was in the courtyard of Sathyabhama put forth flowers. Sathyabhama, becoming fairer of faultless riches, became free from jealousy with Rukmini and enjoyed herself with Krishna.(30)
॥इति श्रीवेंकटाध्वरी कृतं श्री राघव यादवियं समाप्तम् ॥