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शनिवार, 30 मई 2020

(३०)


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*तब हंसा मन आनंद होइ,*
*वस्तु अगोचर लखै रे सोइ ।* 
*जा को हरि लखावै आप,*
*ताहि न लिपैं पुन्य न पाप ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. ४०५)*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(३०) 
*श्री रामलीला*(अनुलोम) 
साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥ 
निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥३०॥ 
अयोध्या का समृद्ध स्थल, तामरस(कमल) पर विराजमान राज्यलक्ष्मी का सर्वोत्तम निवास बना । सर्वस्व न्योछावर करानेवाले अजेय राम के प्रतापी शासन का उदय हुआ ॥३०॥ 
The land of Ayodhya was bright and rich and became the abode of Lakshmi. In Rama, the invincible, the glory of kingship was resplendent.(30) 
(३०) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि । 
गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥३०॥ 
श्रीसत्य(सत्यभामा) के आँगन में अवस्थित पारिजात में पुष्प प्रस्फुटित हुए, सत्यभामा, इस निर्मल संपत्ति को पा कृष्ण की प्रथम भार्या रुक्मिणी के प्रति ईर्ष्याभाव का त्याग कर, कृष्ण संग सुखपूर्वक रहने लगी ॥३०॥ 
The parijatha that was in the courtyard of Sathyabhama put forth flowers. Sathyabhama, becoming fairer of faultless riches, became free from jealousy with Rukmini and enjoyed herself with Krishna.(30) 
॥इति श्रीवेंकटाध्वरी कृतं श्री राघव यादवियं समाप्तम् ॥

शुक्रवार, 29 मई 2020

(२९)

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*ऐसो राजा सोई आहि,*
*चौदह भुवन में रह्यो समाहि ।*
*दादू ताकी सेवा करै,*
*जिन यहु रचिले अधर धरै ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. ३९१)*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(२९)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका । 
रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥२९॥
नारियल वृक्षों से आच्छादित, रंग-बिरंगे भवनों से निर्मित अयोध्या नगर, रावण को पराजित करने वाले राम का, अब समुचित निवास स्थल बन गया ॥२९॥
The city of Ayodhya became the fitting abode of Rama, the vanquisher of Ravana, with colorful mansions surrounded with coconut trees.(29) 
(२९) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा । 
कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥२९॥ 
अनेकों विजयी गजराजों वाली भूमि द्वारका नगर में धर्म के वाहक सत्ताप्रिय कृष्ण, दिव्य वृक्ष पारिजात से दीप्तिमान, का प्रवेश क्रीड़ारत गोपियों संग हुआ ॥२९॥ 
The city of Dvaraka, abounding in triumphant elephants glowed with the celestial tree and Krishna, the abode of dharma, and the play mate of gopis.(29) 
(क्रमशः)

गुरुवार, 28 मई 2020

(२८)

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*निशिवासर मोहन तन मेरे,* 
*चरण कँवल मन जानै ।*
*निधि निरख देख सचु पाऊँ,* 
*दादू और न जानै ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. ३४३)*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(२८)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः ।
चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥२८॥
चमत्कारिक रूप से साहसी उस राम द्वारा रावण के प्राण हरने पर देवताओं ने उनकी स्तुति की, वे रूपवती भूमिजा सीता के संग हैं, तथा शरणागतों का कष्ट निवारण करते हैं ॥२८॥
Rama, who took away the life of Ravana, the astoundingly adventurous, who was the Lord of Seetha, the beautiful daughter of the earth, and who destroyed the grief of the one who resorted to him (Vibheeshana) was honoured by all devas.(28) 
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(२८) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा ।
सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥२८॥
वे, प्रद्युम्न को युद्ध के कष्टों से उबारने के पश्चात लक्ष्मी को निज वक्षस्थली रखने वाले, कीर्तियों के शरणस्थल जो प्रद्युम्न के हितैषी कृष्ण, ऐरावत वाले स्वर्गलोक को जीत कर पृथ्वी को वापस लौट आए ॥२८॥
Krishna, who cared for the welfare of Pradhyumna vanquished the enemies in the heaven, which had riotous elephant like Iravatha, with his valour and returned to earth.(28)
(क्रमशः)

बुधवार, 27 मई 2020

(२७)


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*तुम ही आदि अंत पुनि तुम ही,*
*तुम कर्ता त्रय लोक मंझार ।*
*कुछ नांही तैं कहा होत है,*
*दादू बलि पावे दीदार ॥३॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. ३३३)*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(२७)
*श्री रामलीला*(अनुलोम) 
वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः । 
तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥२७॥ 
वीर वानर सेना के त्राता के रूप में विख्यात राम, उस सेतुसमुन्द्र पर चलने लगे, जो अथाह विस्तृत सागर के जीव जंतुओं से भी रक्षा कर रहा था ॥२७॥ 
Rama, shone as the protector of the army of valorous monkeys, going through the new bridge across the ocean which protected from the obstacles of the creatures in the sea and the vast expanse of water of the sea. (27) 
(२७) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः । 
सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥२७॥ 
जो व्यक्ति, प्रभु हरि की सेवा में रत, उनका यशगान करता है, वह प्रभु की दया प्राप्त कर शत्रुओं पर विजय पाता है । जो ऐसा नहीं करता हैं वह निहत्थे शत्रु से भी भयभीत होकर कान्तिविहीन हो जाता है ॥२७॥ 
A man who serves the Lord Hari, singing His glory rises over his enemies through the mercy of the Lord. One who does not do so fears even from unarmed enemy and loses his lustre. (27)

मंगलवार, 26 मई 2020

(२६)


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*दादू जिन को सांई पाधरा, तिन बंका नांही कोइ ।*
*सब जग रूठा क्या करै, राखणहारा सोइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(२६)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः ।
तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥२६॥
समुद्र लांघ कर सहयाद्री पर्वत तक जा समुद्र तट तक पहुँचने वाले की प्राप्ति दूत हनुमान के रूप में होने से, इंद्र से भी अधिक प्रतापी, असुरों की समृद्धि को असहनशील, उस रक्षक राम की कीर्ति में वृद्धि हो गई ॥२६॥
Rama, whose glory excelled that of indra. Who could not tolerate the asuras prospering, who is the protector, shone having got Hanuman, who acquired the fame of crossing the ocean and reached the sahaydri mountain and the shore of the ocean .(26)
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(२६)
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं ।
हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥२६॥
जो गदाधारी हैं, अपरिमित तेज के स्वामी हैं, वो कृष्ण – प्रद्युम्न को दिए कष्ट से अत्यधिक कुपित हो – स्वर्ग में उत्पन्न वृक्ष को झपट कर विजयी हुए ॥२६॥
Enraged by the wrong committed by causing grief to Pradhyumna, Krishna, whose glory is unabated, who was armed with the mace, became victorious grasping the celestial tree.(26)
(क्रमशः)

सोमवार, 25 मई 2020

(२५)

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*दादू महा जोध मोटा बली, सो सदा हमारी भीर ।*
*सब जग रूठा क्या करै, जहाँ तहाँ रणधीर ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(२५) 
*श्री रामलीला*(अनुलोम) 
हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि । 
राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥२५॥ 
हंसज, यानि सुर्यपुत्र सुग्रीव, के अपराजेय सैन्यबल की महती भूमिका ने राम के गौरव में वृद्धि कर रावण वध से विजयश्री दिलाई ॥२५॥ 
To that Rama, whom the victory crowned due to killing of Ravana, greater glory came from the mighty army of sugriva. (25) 
(२५) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा । 
निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥२५॥ 
उस कृष्ण के हिस्से निर्मल विजयश्री की ख्याति आई जो बाणों की वर्षा सहने में समर्थ हैं, जिनका तेज युद्धभूमि को असुर-विहीन करने से चमक रहा है, उनका स्वाभाविक तेज देवताओं पर विजय से दमक उठा ॥२५॥ 
To Krishna, who is capable of enduring the onslaught of arrows, whose glory, pure and shining with the destruction of asuras came in the form of rama, jayalakshmi, by defeating the devas. (25)
(क्रमशः)

रविवार, 24 मई 2020

(२४)

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*दादू बल तुम्हारे बापजी, गिनत न राणा राव ।*
*मीर मलिक प्रधान पति, तुम बिन सब ही बाव ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(२४)
*श्री रामलीला*(अनुलोम) 
भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं ।
तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥२४॥ 
सूर्य से भी तेज में प्रशंसित, रमणीक पत्नी(सीता) को निरंतर अतुल आनन्द प्रदाता, जिनके नयन कमल जैसे उज्जवल हैं – उन्होंने इंद्र के पुत्र बलि जका संहार किया ॥२४॥
Rama, who had more lustre than the Sun, who was the joy giver to Seetha forever, who had eyes like lotus and who is the giver of all, killed Vali, son of Indra.(24) 
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(२४) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं । 
तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥२४॥ 
उस कृष्ण ने – जिनके तेज के समान सूर्य भी गौण है – जिसने अपने उत्तेजित सेवक गरुड़ की रक्षा की, जिस गरुड़ ने अपने डैनों की फड़फड़ाहट मात्र से शत्रुओं की शक्ति और गर्व को क्षीण किया था – जिस(कृष्ण) ने कभी शिव को भी पराजित किया था ॥२४॥
Krishna, who vanquished even Siva, and whose lustre belittled even that of the Sun, protected his servant Garuda who agitated and weakened the strength and pride of the enemies by merely the breeze of the fluttering wings.(24)
(क्रमशः)

शनिवार, 23 मई 2020

(२३)

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*दादू साचा साहिब शिर ऊपरै, ताती न लागै बाव ।*
*चरण कमल की छाया रहै, किया बहुत पसाव ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(२३) 
*श्री रामलीला*(अनुलोम) 
हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः । 
तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥२३॥ 
मनोहारी, मेघवर्णीय(राम) – को सीता से वियोग के पश्चात् संग मिला निर्विकार हनुमान का और सुग्रीव का जो अपनी पत्नी रुमा के श्रद्धेय थे, जो बाली द्वारा सताए जाने के कारण अपना सुख गँवा विचारहीन, शक्तिहीन हो राम के शरणागत हो गए थे ॥२३॥ 
Rama, who was of attractive hue of the cloud on being separated from Seetha, got the faultless, Hanuman and Sugriva, who was revered by Ruma - his wife, lost his happiness , became devoid of his power of thought and strength - being persecuted by Vali, and, went to, that Rama. (23) 
(२३) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् । 
जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥२३॥ 
तब देवताओं से युद्ध का परित्याग कर चुके, अतुल्य साहसी(प्रद्युम्न), आकाश में संचारित शीतल पवन से पुनर्जीवित हो गुरुजनों का गुणगान अर्जन किया जब उनके द्वारा शत्रुओं को मार विजय प्राप्त किया था ॥२३॥ 
Pradhyumna, who gave up battle with the devas became revived with the cool breeze of the sky and regained his glory and vanquished the devas.(23)
(क्रमशः)

शुक्रवार, 22 मई 2020

(२२)

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*दादू क्या बल कहा पतंग का, जलत न लागै बार ।*
*बल तो हरि बलवंत का, जीवै जिहिं आधार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(२२)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।
चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥२२॥
लक्ष्मी जैसी तेजस्वी का, अंत समय आसन्न होने के कारण नीच दुष्ट छली नीच राक्षस(रावण)द्वारा, उच्च विचारों वाले वनदेवताओं के सामने ही उस सर्वपूजिता सीता का अपहरण कर लिया गया ॥२२॥
Seetha, lustrous like Lakshmi and revered by all, was taken away by Ravana, who descended into a degrading state, being wicked and cunning, while the good forest gods looked on.(22)
(२२) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा ।
हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥२२॥
तब, एक ब्राह्मण की मैत्री से उस लुप्त अविनाशी, चिरस्थायी ज्ञान व तेज को पुनर्प्राप्त कर नाकेश(स्वर्गराज, इंद्र) – जिनकी इच्छा पलायन करनेवाले देवताओं की रक्षा करने की थी – ने आकुल कुमार प्रद्युम्न का प्रताप हर लिया ॥२२॥
The glory of Pradhumna was eclipsed by Indra, who was aided by a brahmin and got back his valour and lustre in order to protect the fleeing devas.(22)
(क्रमशः)

(२१)


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*मन मनसा जीते नहीं, पंच न जीते प्राण ।*
*दादू रिपु जीते नहीं, कहैं हम शूर सुजान ॥*
(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(२१)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।
हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि ॥२१॥
ताड़कापुत्र मारीच को काट मारने से प्रसिद्ध, अपनी वाणी से पाप का नाश करने वाले, जिनका नाम मनभावन है, हाय, असहाय सीता अपने उस स्वामी राम के बिना व्याकुल हो गई(मारीच द्वारा राम के स्वर में सीता को पुकारने से) ॥२१॥
Rama, whose name, delightful to the heart, destroys all sins, shone by his killing of the son of Thataka, Maricha. Alas! Seetha with no one to help, without her Lord, became perturbed (by hearing the shouts of Maricha.) .(21)
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(२१)
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।
ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥२१॥
प्रद्युम्न संग देवलोक में विचरण कर रहे कृष्ण को रोकने में, पुत्र जयंत के शत्रु प्रद्युम्न के अट्टहास को अपनी बाणवर्षा से काट कर शांत करनेवाले, अथाह संपत्ति के स्वामी, पर्वतों के आक्रमणकर्ता इंद्र, असमर्थ हो गए ॥२१॥
Indra who had all riches, the vanquisher of mountains and who was able to quell the pride of Pradhyumna, who defeated Jayantha, with his arrows, was not able to follow Krishna who roamed around the heaven with Pradhyumna .(21)
(क्रमशः)

रविवार, 12 अगस्त 2018

(२०)

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*काच हुता कंचन कर जानै, भूल्यो रे भ्रम पास ।*
*साचे सौं पल परिचय नाहीं, कर काचे की आस ॥*
(श्री दादूवाणी ~ ३३८)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit
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(२०)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।
राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥२०॥
पापी राक्षसों का संहार करनेवाले(राम) पर आक्रमण का विचार, नीच, विकृत लंकेश – सदैव जिसके संग मदिरापान करनेवाले क्रूर राक्षस विद्यमान हैं – ने किया ॥२०॥
Ravana, the fierce, wicked and mean, who had with him the cruel, always intoxicated rakshasas, entertained the thought of aggressing Rama when the sinful demons Khara and others were killed by Rama.(20)
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(२०)
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।
धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥२०॥
व्यथाग्रसित हो, शत्रु के शक्ति को भूल, उन्हें(कृष्ण को) बंदी बनाने का आदेश गन्धर्वराज इंद्र – सूर्य की तरह शुभ स्वर्णाभूषण अलंकृत मगर कुत्सित बुद्धि से ग्रस्त – ने दे दिया ॥२०॥
Indra, the lord of gandharvas, adorned with gold ornaments shining like the Sun, was afflicted by sorrow which made his intellect diseased, ordered the capture of Krishna .(20)
(क्रमशः)

शनिवार, 11 अगस्त 2018

(१९)

卐 सत्यराम सा 卐
*शूरा होइ सुमेर उलंघै, सब गुण बँध्या छूटै ।*
*दादू निर्भय ह्वै रहे, कायर तिणा न टूटै ॥*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(१९)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।
सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥१९॥
पृथ्वी व स्वर्ग के सुदूर कोने तक व्याप्त कीर्ति के स्वामी राम द्वारा खर की सेना को श्रीविहीन परास्त करने से, उनकी एक गौरवशाली, निडर, शत्रु संहारक के रूप में शालीन छवि चमक उठी ॥१९॥
Rama, fighting incessantly with the army of Khara which lost its glory, shone as the vanquishing hero of enemies, undaunted, unostentatious and his fame spreading to the farthest corner of heaven and earth.(19) 
(१९) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।
यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥१९॥
हे(कृष्ण), सर्वकामनापूर्ति करने वाले देवों के गर्व का शमन करने वाले, जिनका वाहन वेदात्मा गरुड़ है, जो वैभव प्रदाता श्रीपति है, जिन्हें स्वयं कुछ ना चाहिए, आप इस दिव्य वृक्ष को धरती पर ना ले जाएँ ॥१९॥
(Indra requested) Krishna, who has Garuda as your vehicle and who has the velour to put out the glory of devas, who is the giver of wealth, do not take away the celestial tree from the heaven.(19)
(क्रमशः)

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

(१८)

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卐 सत्यराम सा 卐
*सर्प केसरी काल कुंजर, बहु जोध मारग मांहि ।*
*कोटि में कोई एक ऐसा, मरण आसंघ जाहि ॥*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
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(१८) 
*श्री रामलीला*(अनुलोम) 
तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत । 
वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥१८॥ 
पृथ्वी को प्रिय(विष्णु यानि राम) के दाहिनी भुजा व उन्हें गौरव देने वाले, निडर लक्षमण द्वारा नाक काटे जाने पर, उस माँसभक्षी नासाविहिन(शूर्पनखा) ने सूर्यवंशी(राम) के प्रति वैर पाल लिया ॥१८॥ 
Surpanakha, became vengeful towards Rama when her nose was cut off by the fearless Lakshmana, who was like right hand to Rama.(18) 
(१८) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः । 
ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥१८॥ 
उल्लास, जीवनीशक्ति और तेज के ह्लास होने का भान होने पर केशव(कृष्ण) से मित्रवत वाणी में इंद्र - जिसने उन्नत पर्वतों को परास्त कर महत्वहीन किया(उद्दंड उड़नशील पर्वतों के पंखों को इंद्र ने व्रजायुध से काट दिया था), जिसने अमर देवों के नायक के रूप में दुष्ट असुरों को श्रीविहीन किया - ने धरा व नभ के रचयिता(कृष्ण) से कहा ॥१८॥ 
Indra, who was the subduer of the mountains, the leader of the devas and the vanquisher of asuras, felt depleted of his joy, vigour and lustre. and spoke pacifying words to Krishna who created the sky and the earth.(18) 
(क्रमशः)

गुरुवार, 9 अगस्त 2018

(१७)

卐 सत्यराम सा 卐
*खोज परे गति जाइ न जानी,*
*अगह गहन कैसे आवे ।*
*दादू अविगत देहु दया कर,*
*भाग बड़े सो पावे ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. २९७)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(१७)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।
न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥१७॥
वेदों में निपुण, सन्तों के रक्षक(राम) का गरुड़(जटायु) ने झुक कर नमन किया जिनके प्रति अपूर्ण कामयाचना चुड़ैल, लंकेश की बहन(शूर्पनखा), को भी थी ॥१७॥
Rama the protector of the rishis well versed in vedas, was served by Jatayu and desired by witch Surpanakha, the sister of Ravana.(17)
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(१७) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।
सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥१७॥
वे(कृष्ण) – वृद्धावस्था व मृत्यु से परे – पारिजात वृक्ष के उन्मूलन की इच्छा से गए, तब इंद्र – स्वर्ग में रहते हुए भी कृष्ण के हितैषी – को अपार दुःख प्राप्त हुआ ॥१७॥
Indra, being in Swarga so long, though a friend to Krishna, grieved over Krishna's uprooting the Parijatha tree, and not knowing that Krishna, though on earth, is free from death and old age, (being the Lord Himself) went to fight with him.(17)
(क्रमशः)

बुधवार, 8 अगस्त 2018

(१६)

卐 सत्यराम सा 卐
*हरि जल नीर निकट जब आया,*
*तब बूँद बूँद मिल सहज समाया ॥* 
*नाना भेद भ्रम सब भागा,*
*तब दादू एक रंगै रंग लागा ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. ६४)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(१६) 
*श्री रामलीला*(अनुलोम) 
सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् । 
तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥१६॥ 
वे राम शीघ्र ही महाज्ञानी(जिनकी वाणी वेद है, जिन्हें वेद कंठस्थ है) कुम्भज(मटके में जन्मने के कारण अगस्त्य ऋषि का एक अन्य नाम) के निकट जा पहुँचे । वे निर्मल वृक्ष वल्कल(छाल) परिधानधारी हैं, जो नाना दोष(पाप) वाले विराध के संहारक हैं ॥१६॥
Rama clad in hermit's robe, faultless enemy of ignorance, soon after killing Viradha, abounding in, approached Kumbhaj(due to birth in earthenware, another name of Agastya sage), whose voice was resounding with veda. (16) 
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(१६) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् । 
जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥१६॥ 
हाय, वो इंद्र, पृथ्वी को जलप्रदान करने वाले, किन्नरों-गन्धर्वों के सुरीले संगीत रस का आनन्द लेने वाले, देवाधीपति ने ज्यों ही जम्बासुर संहारक(कृष्ण) का आगमन सुना, वे अनजाने भय से ग्रसित हो गए ॥१६॥
Indra, the lord of devas, the giver of rain to earth, the enjoyer of the music and other entertainment and the slayer of Jambasura, became deluded and afraid, hearing the arrival of Krishna. (16) 
(क्रमशः)

मंगलवार, 7 अगस्त 2018

(१५)

#daduji

卐 सत्यराम सा 卐
*कहाँ तैं एक अनेक दिखावा,* 
*कहाँ तैं सकल एक ह्वै आवा ॥*
*दादू कुदरत बहु हैरानां,* 
*कहाँ तैं राख रहे रहमाना ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. ५३)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(१५) 
*श्री रामलीला*(अनुलोम) 
दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा । 
ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥१५॥ 
दंडकवन में संयमी(राम), स्वस्थ, नरेशों के शत्रु(परशुराम) को पराजित करनेवाले, मानवयोनि वाले व्यक्तियों(मनुष्यों) को अपने निष्कलंक कीर्ति से आनन्दित करनेवाले – ने प्रवेश किया ॥१५॥ 
Rama, who is self-controlled, the vanquisher of Parsurama and who was attainable and enjoyed by sinless humans, reached Dandaka forest.(15) 
(१५) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।
हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥१५॥ 
सदा आनंददायी जननायक श्रीकृष्ण नन्दनवन को जा पहुँचे, जो इंद्र के अतिआनंद का श्रोत था - वही इन्द्र जो आकर्षक काया वाली अहिल्या का प्रेमी था, जिसने(छलपूर्वक) अहिल्या की सहमति पा ली थी ॥१५॥ Krishna,who is the eternal joy and the leader of all, reached The nandanavana, which was the delight of Indra who seduced, Ahalya with attractive body.(15)
(क्रमशः)

सोमवार, 6 अगस्त 2018

(१४)

卐 सत्यराम सा 卐
*समर्थ सोई सकल भरपूर,*
*बाहर भीतर नेड़ा न दूर ।*
*अकल आप कलै नहीं कोई,*
*सब घट रह्यो निरंजन होई ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. ३९०)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(१४)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।
सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥१४॥
असंख्य राक्षसों का नाश अपने तेजप्रताप से करनेवाले(राम), स्वर्गतुल्य सुगन्धित पवन संचारित स्थल(चित्रकूट) पर यक्षराज कुबेर तुल्य वैभव व आभा संग लिए पहुँचे ॥१४॥
Rama, with splendour like Kubera, with faultless gait, reached the chitrakoota hill, after the hosts of demons being subdued. The heavenly place was shining glorious with the soft breeze.(14)
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(१४) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।
गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥१४॥
मेघवर्ण के श्रीकृष्ण, सत्यभामा को घोर अन्याय से शांत करने हेतु, अप्सराओं से शोभायमान, रम्भा जैसी सुंदरियों से चमकते आंगन, स्वर्ग को गए ताकि वे सुगन्धित पारिजात वृक्ष तक पहुँच सकें ॥१४॥
Krishna with cloud color complexion, in order to rectify the wrong done to Sathyabhama, went to heaven which was beautified by apsara damsels like Rambha, to reach the parijatha tree of divine fragrance.(14)
(क्रमशः)

रविवार, 5 अगस्त 2018

(१३)

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*दादू खालिक खेलै खेल कर, बूझै बिरला कोइ ।*
*लेकर सुखिया ना भया, देकर सुखिया होइ ॥*
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(१३)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।
यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥१३॥
थकान से क्लांत भारद्वाज आदि संयमी ऋषियों ने, शूरवीर राम (तामसी, उपद्रवी, दम्भी, अनियंत्रित शत्रुदल को अपने तेज से दहन करने वाले) के निकट पहुँच कर याचना की ॥१३॥
Bharadvaja and the other sages(sober and tired) aproached brave Rama(capable of destroying tactical, rowdy, arrogant, enemy rakshasas) for help.(13)
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(१३) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।
हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥१३॥
सत्यभामा, अदासी पुष्पधारी कृष्ण, के शब्दों पर ना तो ध्यान ही दी ना तो कुछ बोली जब तक कि कृष्ण ने पारिजात वृक्ष को लाने का संकल्प ना लिया ॥१३॥
Sathyabhama, who neither listened to the words of Krishna nor said anything to him, started speaking only when Krishna said that he will undertake the responsibility of bringing the Parijatha tree.(13) 
(क्रमशः)

शनिवार, 4 अगस्त 2018

(१२)


#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*तूँ न विसारी केशवा, मैं जन भूला तोहि ।*
*दादू को और निवाह ले, अब जनि छाड़े मोहि हो ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. १२)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(१२)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।
सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥१२॥
अपने शरणागतों को शास्त्रोचित सद्बुद्धि देने वाली, धरती पुत्री सीता, इस लज्जाजनक कार्य से आहत, अपनी कान्ति को बिना गँवाए, वन गमन का साहस कर गई ॥१२॥ 
Seetha, the daughter of the mother earth, who gives pure intellect through the study of sasthras to those who resort to her, went to the forest boldly without losing her lustre, grieved over the shameful act of Kaikeyi.(12) 
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(१२) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम) 
भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।
वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥१२॥
तेजस्वी रक्षक कृष्ण – वैभवदाता, जिनका वाहन गरुड़ है – उनकी ओर, गूढ़ ज्ञान से परिपूर्ण सत्यभामा ने अपने को नीचा(रुक्मिणी को पुष्प देने से) दिखने से अपमानित, देखा ही नहीं ॥१२॥
By Sathyabhama, who had deep wisdom and who was disgraced by the insult(of giving the flower to Rukmini), Krishna, the resplendent protector and the one who has Garuda as his vehicle and the giver of wealth, was not even looked at.(12)
(क्रमशः)

शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

(११)

卐 सत्यराम सा 卐
*मैं मेरे में भूल रहे रे,*
*साजन सोइ विसारा ।*
*आया हीरा हाथ अमोलक,*
*जन्म जुवा ज्यों हारा ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. २३)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(११)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।
भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥११॥
विनम्र, आदरणीय, सत्य के त्याग से और वचन पालन ना करने से लज्जित होने वाले, पिता के सम्मान में अद्भुत राम – तेजोमय, मुक्ताहारधारी, वीर, साहसी – वन को प्रस्थान किए ॥११॥
It is a wonder that Rama, who is lustrous and valiant and firm, went to the forest, unadorned, out of regard for his noble father who was embarrassed of discarding the word given.(11)
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(११) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।
होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥११॥
संगीत की धनी, यानि सत्यभामा, के प्रति समर्पित प्रभु(कृष्ण) – वीर, दृढ़चित्त – कदाचित भय व लज्जा से आक्रांत हो सत्यभामा के निवास पहुंचे ॥११॥ 
In Dwaraka, Krishna, who is of firm nature and valiant, attached to his wife, uneasy of his action, as though in fear; approached the residence of Satyabhama who was endowed with a flair for music.(11)
(क्रमशः)