शुक्रवार, 29 मई 2015

= १८८ =

#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
दादू बिन रसना जहँ बोलिये, तहँ अंतरयामी आप ।
बिन श्रवणहुँ सांई सुनै, जे कुछ कीजे जाप ॥
ज्ञान लहर जहाँ थैं उठै, वाणी का परकास ।
अनुभव जहाँ थैं उपजे, शब्दैं किया निवास ॥
=================
Ramjibhai Jotaniya ~ अलौकिक शक्तियां ईश्वर का संकेत है अंतरात्मा की आवाज
.
दैनिक जीवन में अक्सर देखते हैं कि दरवाजे की घंटी बजते ही मन में ख्याल आता है कि इस समय दरवाजे पर अमुक व्यक्ति ही होगा और दरवादा खोलने पर जिसका ख्याल आया था वही व्यक्ति होता है। इस प्रकार कभी-कभी अपने किसी मित्र से मिलने के लिए उसके घर पर जा रहे होते हैं कि अचानक दिमाग में विचार कौंधता है कि इस समय दोस्त के यहां जाना व्यर्थ होगा। वह नहीं मिलेगा।
.
परंतु नहीं मानते और चल पड़ते हैं तथा वाकई में दोस्त नहीं मिलता हैं। ऐसा भी होता है कि किसी रिश्तेदार या अभिन्न मित्र का ख्याल बार-बार आता है और यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि ऐसा क्यों हो रहा है ? तभी उस दोस्त या रिश्तेदार के साथ कोई हादसा होने की खबर मिलती है। क्या यह सब संयोग है ? नहीं, यह संयोग नहीं है।
.
आम भाषा में इसे अंतरात्मा की आवाज कहा जाता है। अनुभवियों का मानना है कि यह आवाज सभी के लिए कार्य करती है। सवाल सिर्फ इसको समझने और पहचानने का है तथा इसपर अटूट विश्वास करने पर ही और अभ्यास से इसे समझा तथा पहचाना जा सकता है। यह आंतरिक शक्ति अच्छाई और बुराई का भी ज्ञान कराती है।
.
उदाहरण के लिए रास्ते में एक सौ का नोट पड़ा मिलता है, तो उसे तुरंत रख लेते हैं, परंतु आंतरिक शक्ति बताती है कि यह ठीक नहीं है। परंतु उस पर ध्यान नहीं देते हैं। बात वहीं विश्वास की है। यदि इसपर विश्वास करेंगे, तो अंतरात्मा की आवाज भी उतनी ही विकसित होगी और उसका अनुसरण कर बहुत लाभ ले सकते हैं।
.
ध्यान रहे, अंतरात्मा की आवाज ईश्वरप्रदत्त संकेत है जिसमें आत्मा माध्यम है। इसको पूर्णतया जागृत करने के लिए विश्वास के अतिरिक्त, मस्तिष्क में जब भी किसी भी प्रकार का विचार आये, तो गंभीरता से यह जानने का प्रयत्न करें कि यह विचर अचानक जागृत करने में आसानी होगी। जैसे अमुक कार्य करने जा रहे हैं, तो ख्याल आता है कि इसे अभी न करें।
.
चार दिन बाद कीजिए और देखेंगे की वह कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो जाता है। यदि ईश्वर में विश्वास रखते हैं यानी आस्तिक है, तो यह तय है कि अंतरात्मा की आवाज शीघ्र जागृत हो जाएगी। ज्यों-ज्यों विश्वास बढ़ेगा, त्यों -त्यों अंतरात्मा की आवाज जागृत होगी। आज विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक इसे छठी इंद्रिय और सुपर चेतना के नाम से भी पुकारते हैं।
.............हर-हर महादेव

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें