शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024

शब्दस्कन्ध ~ पद #४१६

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🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🦚 *#श्रीदादूवाणी०भावार्थदीपिका* 🦚
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*भाष्यकार : ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर स्वामी आत्माराम जी महाराज, व्याकरण वेदांताचार्य, श्रीदादू द्वारा बगड़, झुंझुनूं ।*
*साभार : महामण्डलेश्वर स्वामी अर्जुनदास जी महाराज, बगड़, झुंझुनूं ।*
*#हस्तलिखित०दादूवाणी सौजन्य ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी*
*(#श्रीदादूवाणी शब्दस्कन्ध ~ पद #४१६)*
*राग धनाश्री ॥२७॥**(गायन समय दिन ३ से ६)*
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*४१६. विनती । वीर विक्रम ताल*
*मनमोहन हो !*
*कठिन विरह की पीर, सुन्दर दरस दिखाइये ॥टेक॥*
*सुनहु न दीन दयाल, तव मुख बैन सुनाइये ॥१॥*
*करुणामय कृपाल, सकल शिरोमणि आइये ॥२॥*
*मम जीवन प्राण अधार, अविनाशी उर लाइये ॥३॥*
*इब हरि दरसन देहु, दादू प्रेम बढ़ाइये ॥४॥*
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हे मेरे मन को मोहने वाले प्रभो ! यह विरहव्यथा अति ही कठिन हैं । मेरे लिये तो असह्य हो रही हैं । इसलिये आपको अपना दिव्यदर्शन देना चाहिये । हे दयालो ! मेरी प्रार्थना सुनकर कृपा करके अपनी मधुर वाणी सुनाइये ।
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हे सर्व शिरोमणि करुणामय दयालो हे मेरे जीवन और प्राणों के आधार अविनाशिन् स्वामिन् ! शीघ्रदर्शन दीजिये और अपने हृदय का आलिंगन करवा कर प्रेमरूपी अमृत पिलाइये और मुझे अपना दास बनालो ।
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यामुनाचार्यकृतस्तोत्र में लिखा है कि –
हे नाथ ! मैं आपके सामने झूंठ नहीं बोलता सत्य ही निवेदन करता हूँ मेरी एक बात सुन लीजिये । यदि आप मेरे पर दया नहीं करेंगे तो मुझ से बढ़कर दया का पात्र आपको मिलना कठिन हैं । हे भगवन् आपके सिवा मेरा कोई स्वामी नहीं ।
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विधाता के जोड़े हुए इस सम्बन्ध को निभाइये ! तोड़ो मत । हे भगवन् ! जिस प्रकार आपने स्वयं ही मुझे सदा रहने वाली इस भवदीयता(मैं आपका हूँ) को मुझे बता दिया उसी तरह कृपा करके आपकी अनन्य भक्ति मुझे दीजिये ।
(क्रमशः)

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