शुक्रवार, 3 मई 2024

शब्दस्कन्ध ~ पद #४२३

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🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🦚 *#श्रीदादूवाणी०भावार्थदीपिका* 🦚
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*भाष्यकार : ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर स्वामी आत्माराम जी महाराज, व्याकरण वेदांताचार्य, श्रीदादू द्वारा बगड़, झुंझुनूं ।*
*साभार : महामण्डलेश्वर स्वामी अर्जुनदास जी महाराज, बगड़, झुंझुनूं ।*
*#हस्तलिखित०दादूवाणी सौजन्य ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी*
*(#श्रीदादूवाणी शब्दस्कन्ध ~ पद #४२३)*
*राग धनाश्री ॥२७॥**(गायन समय दिन ३ से ६)*
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*४२३. पद गजताल ।*
*मुख बोल स्वामी तूँ अन्तर्यामी,*
*तेरा शब्द सुहावै राम जी ॥टेक॥*
*धेनु चरावन बेनु बजावन,*
*दर्श दिखावन कामिनी ॥१॥*
*विरह उपावन तप्त बुझावन,*
*अंगि लगावन भामिनी ॥२॥*
*संग खिलावन रास बनावन,*
*गोपी भावन भूधरा ॥३॥*
*दादू तारन दुरित निवारण,*
*संत सुधारण राम जी ॥४॥*
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हे स्वामिन् ! आप अन्तर्यामी हैं । अतः आप मेरे मन को भी जान रहे हैं कि मैं क्या चाहता हूँ । हे राम आपके वचन मधुर और बहुत प्रिय हैं अतः मुझे सुनाइये । आप गायों की पालना करने वाले ! आध्यात्मिक पक्ष में ज्ञानेन्द्रियों के संचालक हैं । बंशी को बजाने वाले हैं । बंशी वाक्शक्तिको प्रेरणा देने वाले हैं ।
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गोपीरूप भक्तों को सदा दर्शन देने वाले हैं । अथवा कामना प्रधान बुद्धि को ज्ञान देकर कामना निवृत्ति के द्वारा उसको शुद्ध करने वाले हैं । भक्तों को दर्शन देकर उनकी बुद्धि में विरह पैदा करते हैं, जिससे विरहाग्नि में उनके पाप नष्ट हो जाने से वे आपके दर्शनों के योग्य बन जाते हैं । बुद्धि में प्रेमाभक्ति पैदा करके अपने स्वरूप में उनको लीन कर लेते हैं ।
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दर्शन देकर भक्तों की विरहाग्नि को शान्त कर देते हैं और भक्तों के रास रचते हैं । जिससे भक्तों को परम आनन्द प्राप्त होता हैं । आप सन्तरूप गोपियों से प्यार करते हैं । अपनी सत्ता से पृथिवी रूप भूधर को धारण कर रहे हैं । हे भक्त कल्पद्रुम प्रभो ! आप भक्तों को अभिलषित पदार्थों को देने वाले हैं । अतः आप मेरे ऊपर भी कृपा करके दर्शन दीजिये ।
(क्रमशः)

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