#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
नहीं तहाँ तैं सब किया, आपै आप उपाइ ।
निज तत न्यारा ना किया, दूजा आवै जाइ ॥
नहीं तहाँ तैं सब किया, फिर नांहीं ह्वै जाइ ।
दादू नांहीं होइ रहु, साहिब सौं ल्यौ लाइ ॥
दादू खालिक खेलै खेल कर, बूझै बिरला कोइ ।
लेकर सुखिया ना भया, देकर सुखिया होइ ॥
देबे की सब भूख है, लेबे की कुछ नांहि ।
सांई मेरे सब किया, समझि देख मन मांहि ॥
(#श्री०दादूवाणी ~ समर्थता का अंग)
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