गुरुवार, 21 मई 2015

= १७४ =

#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
जीवन मुक्ति
जीवित जगपति को मिलै, जीवित आत्मराम ।
जीवित दर्शन देखिये, दादू मन विश्राम ॥ 
जीवित पाया प्रेम रस, जीवित पिया अघाइ ।
जीवित पाया स्वाद सुख, दादू रहे समाइ ॥ 
जीवित भागे भ्रम सब, छूटे कर्म अनेक ।
जीवित मुक्त सद्गति भये, दादू दर्शन एक ॥
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"मुक्ति तो जीते जी ही होती है, मरने के
बाद कभी नही होती,
मरने के बाद तो जो जीते जी मुक्त हुए है
उनका मोक्ष होता है" -- स्वामी शून्यानन्द
"Freedom is, always while living
not at all after death,
One who had experience the
freedom while living leads
salvation after death." --
साभार ~ Swami Shoonyanand

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