गुरुवार, 14 जनवरी 2016

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卐 सत्यराम सा 卐
उपजै विनशै गुण धरै, यहु माया का रूप ।
दादू देखत थिर नहीं, क्षण छांहीं क्षण धूप ॥ 
जे नांही सो ऊपजै, है सो उपजै नांहि ।
अलख आदि अनादि है, उपजै माया मांहि ॥ 
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साभार ~ Anand Nareliya

धर्म शाश्वत है, सनातन है

धर्म तुम्हारा स्वभाव है। अस्तित्व का स्वभाव, तुम्हारा स्वभाव; सर्व का स्वभाव। धर्म ही तुम्हारे भीतर श्वास ले रहा है। और धर्म ही वृक्षों में हरा होकर पत्ते बना है। और धर्म ही छलांग लगाता है हरिण में। और धर्म ही मोर बनकर नाचता है। और धर्म ही बादल बनकर घिरता है। और धर्म ही सूरज बनकर चमकता है। और धर्म ही है चांद—तारों में। और धर्म ही है सागरो में। और धर्म ही सब तरफ फैला है।

धर्म से मतलब है स्वभाव। इस सबके भीतर जो अंतस्तल है, वह एक ही है। जीवंतता अर्थात धर्म। चैतन्य अर्थात धर्म। यह होने की शाश्वतता अर्थात धर्म। यह होना मिटता ही नहीं। तुम पहले भी थे—किसी और रूप, किसी और रंग, किसी और ढंग में। तुम बाद में भी होओगे—किसी और रंग, किसी और रूप, किसी और ढंग में। तुम सदा से थे और तुम सदा रहोगे। लेकिन तुम जैसे नहीं। तुम तो एक रूप हो। इस रूप के भीतर तलाशो, जरा खोदो गहराई में। इस देह के भीतर जाओ, इस मन के भीतर जाओ और वहां खोजो। जहां लहर सागर बन जाती है, जहां लहर सागर है। जब भी तुम सागर में उठी किसी लहर में जाओगे, तो थोड़ी देर में, देर—अबेर सागर मिल जाएगा।

ऐसे ही तुम एक लहर हो। लहरें बनती हैं, मिटती हैं, सागर न बनता, न मिटता। सागर शाश्वत है, सनातन है। लेकिन तुमने लहर को खूब जोर से पकड़ लिया है। तुम कहते हो : मैं यह लहर हूं। और तुम इस चिंता में भी लगे हो कि कैसे यह लहर शाश्वत हो जाए।

यह कभी न हुआ है, न होगा। लहरें कैसे शाश्वत हो सकती हैं! लहर का तो अर्थ ही है जो लहरायी और गयी। आयी और गयी—वही लहर। लहर कैसे शाश्वत हो सकती है? बनती नहीं कि मिटने लगती है। बनने में ही मिटती है। तुम तो जन्मे नहीं और मरने लगे। जन्म के साथ ही मृत्यु शुरू हो गयी।

लहर तो बनने में ही मिटती है। लहर शाश्वत नहीं हो सकती। लहर को शाश्वत बनाने का जो मोह है, इसी का नाम संसार है। यह चेष्टा—कि जैसा मैं हूं ऐसा ही बच जाऊं। बड़े कंजूस हो! ऐसा ही बच जाऊं, जैसा हूं! और जैसे हो, इसमें कुछ सार नहीं मिल रहा है—मजा यह है। जैसे हो, इसमें कुछ मिला नहीं है—न कोई सौंदर्य, न कोई सत्य, न कोई आनंद। फिर भी जैसा हूं ऐसा ही बना रहूं!....osho

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