मंगलवार, 26 जनवरी 2016

= ११ =

卐 सत्यराम सा 卐
क्यों कर मिलै मोकौं राम गुसाँई, 
यहु बिषिया मेरे वश नांही ॥ टेक ॥
यहु मन मेरा दहदिशि धावै, 
नियरे राम न देखन पावे ॥ १ ॥
जिह्वा स्वाद सबै रस लागे, 
इन्द्री भोग विषय को जागे ॥ २ ॥
श्रवणहुँ साच कदे नहिं भावे, 
नैन रूप तहँ देख लुभावे ॥ ३ ॥
काम क्रोध कदे नहीं छीजे, 
लालच लाग विषय रस पीजे ॥ ४ ॥
दादू देख मिले क्यों साँई, 
विषय विकार बसे मन मांही ॥ ५ ॥
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साभार ~ Sri Sumeet ~ “Repeat Telecast”
Medicine की पढ़ाई ने मुझे observation सिखाया है.. तो अब कुछ-कुछ ये ‘reflex action’ हो गया है. रिफ्लेक्स ऐक्शन का मतलब जो चीज़ अभ्यास से स्वभाव में आ जाए जैसे गाड़ी का ब्रेक लगाना. तो मैं हर बात को अध्यात्म से जोड़कर देखने का प्रयास करता हूँ और कुछ आपसे भी share करता हूँ.
ऐसे ही देखा कि … कभी किसी से कोई सीरिअल छूट जाता है तो उसको सान्तवना दी जाती है कि परेशान मत हो, दिन भर तो ‘repeat telecast’ होता रहता.. 
सुमीत ने observe किया है कि हमारे मन में भी ‘repeat telecast’ चला करता है. हमारे साथ कोई ऐसी घटना घटी कि जब हमने अपमानित महसूस किया हो... फिर हमारा मन दिन भर उस घटना का repeat telecast करता रहता है... बार-बार हम वही सोचा करते हैं और खुद अपने आप को दुःख देते रहते हैं..
अगर आप ध्यान दें तो पाएंगे कि हमारे अधिकतर दुखों का कारण ये ‘repeat telecast’ ही है.. घटी हुई घटना बीत चुकी.. वो एक बार घटी.. पर बार-बार उसी को देखना हमारे जीवन को दुखी बना देता है.. यकीन मानिये इस प्रकार के ‘repeat telecast’ को देखना बंद करते ही आप हल्का महसूस करेंगे...
इसी चीज़ का हम प्रयोग भी कर सकते.. भगवत्कथा और भगवन्नाम का ‘repeat telecast’ करते रहो.. मन दिव्य हो जायेगा, तन दिव्य हो जायेगा, जीवन दिव्य हो जायेगा.. जब सुमीत ने ‘दुखद घटना’ का ‘repeat telecast’ देख देख कर दुःख पाया तो ‘दिव्य कथा और नाम’ से ‘दिव्यता’ क्यों नहीं पायेगा..
संसार की व्यथा का ‘repeat telecast’ दुःख देता है.. इसका अनुभव हम सबको है..
अब जो अनुभव करना है वो ‘दिव्य रस’(विशेष रस) का है.. जो राम कथा के ‘repeat telecast’ से मिलेगा..
‘राम कथा जे सुनहिं अघाहीं, 
रस बिसेस जाना तिन्ह नाहीं’
~ डॉ. सुमीत




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