शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

= ५२ =

卐 सत्यराम सा 卐
दादू सच बिन सांई ना मिलै, भावै भेष बनाइ ।
भावै करवत उर्ध्वमुख, भावै तीरथ जाइ ॥ 
हिरदै की हरि लेइगा, अंतरजामी राइ ।
साच पियारा राम को, कोटिक करि दिखलाइ ॥ 
दादू मुख की ना गहै, हिरदै की हरि लेइ ।
अन्तर सूधा एक सौं, तो बोल्याँ दोष न देइ ॥
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साभार ~ खाकी शाह ~

हरमिलापी बन कर, दुनियाँ में सदा गुजरान कर ।
दिल किसी का मत दुखा, तूं हर में हरि पहचान कर ।।
कितना सुंदर संदेश दिया हमारे गुरुदेव मुनि हरमिलापी जी महाराज जी ने ।
आज हम अपने आप से पूछे कि क्या 
हम अपने गुरुदेव के इन महावाक्यों पर अमल करते है ? 
क्या हमनें इन महावाक्यों को अपने व्यवहार में लायें है ? 
हम बेहतर जानते है कि हम अपने गुरुदेव के बताये हुये मार्ग पर चलते हैं या नहीं ।
अगर हम अमल नही करते तो झुठा अभिनय मत करो ।
कुछ नही पाओगे लंबे लंबे मत्थे टेक कर ।
कुछ नही पाओगे सेवक होने का दिखावा करके ।
कुछ नहीं पाओगे मुर्ति की पूजा करके ।
गुरुदेव इंसान रूप में साक्षात परमात्मा है।
वे हमारे अंदर की सब जानते है ।
धोखा, आप लोगों को दे सकते हो गुरुदेव को नहीं ।
उन्हें हमारे अंदर की सब खबर हैं ।
चाहे हम जितना मर्जी दिखावा कर ले।
अपने को ही धोखा दे रहे हैं हम ।
सेवक का ये कर्तव्य है, वो ये सोचे कि
जो मैं कर रहा हूं मेरे गुरुदेव देख रहे है।
जो मैं देख रहा हूं मेरे गुरुदेव देख रहे है।
जो मैं सोच रहा हूं मेरे गुरुदेव जान रहे हैं। 
चाहे गुरुदेव हजारों किलोमीटर दूर हैं शारीरिक रुप से, लेकिन हर पल वे हमारे साथ हैं ।
जय श्री हरमिलाप साहिब जी

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