सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

= गुरुदेव का अंग =(१/५८-६०)

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॥ दादूराम सत्यराम ॥ 
"श्री दादू अनुभव वाणी" टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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= श्री गुरुदेव का अँग १ =
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दादू सांई सद्गुरु सेविये, भक्ति मुक्ति फल होइ ।
अमर अभय पद पाइये, काल न लागे कोइ ॥५८॥
परमात्मा और सद्गुरु की सेवा करो, इससे तुम्हें प्रेमाभक्ति और मुक्ति रूप फल अवश्य मिलेगा । तुम अमर और निर्भय पद को प्राप्त हो जाओगे, फिर तुम्हारे पर काल का जोर भी न लग सकेगा ।
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गुरु बिना ज्ञान नहीं
इक लख चन्दा आण घर, सूरज कोटि मिलाय ।
दादू गुरु गोविन्द बिन, तो भी तिमिर न जाय ॥५९॥
५९ - ६२ में कहते हैं : - गुरु बिनाज्ञान नहीं होता । एक लाख चन्द्र घर पर लाओ और उनके साथ कोटि सूर्य भी मिला लो, तो भी गुरु के ज्ञानोपदेश और गोविन्द की भक्ति बिना हृदय का अज्ञानाँधकार नहीं जाता ।
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अनेक चँद उदय करे, असंख्य सूर प्रकास ।
एक निरँजन नाम बिन, दादू नहीं उजास ॥६०॥
यदि अनेक चन्द्र और असंख्य सूर्य उदय होकर प्रकाश करें तो भी गुरु प्रदत्त निरंजन ब्रह्म के नाम चिन्तन द्वारा ब्रह्मज्ञान हुये बिना, अज्ञान दूर होकर हृदय में प्रकाश नहीं होता ।
(क्रमशः)

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