शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

= विन्दु (२)६९ =


🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
https://www.facebook.com/DADUVANI
*#श्रीदादूचरितामृत*, *"श्री दादू चरितामृत(भाग-२)"*
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज,
पुष्कर, राजस्थान ।*
.
*= विन्दु ६९ =*
*= गरीबदासजी को उपदेश =*
.
इधर साँभर में दादूजी की पत्नी नान्ही बाईजी और दादूजी की बड़ी बहिन हवा(हीरा) बाईजी मसकीनदास और युगल बाइयों का पालन-पोषण करते हुये निर्गुण ब्रह्म भक्ति में संलग्न रहती थी ।
.
वे प्रायः तो बीठल-व्यास के ही रहती थीं किन्तु कभी-कभी दामोदर दाधीचि के भी रहती थीं । वे अहमदाबाद के परिवार के साथ आई थीं तब आग्रह पूर्वक दादूजी का सत्संग करने रह गई थीं । इनके योग क्षेम के लिये खर्च अहमदाबाद से ही आता था ।
.
प्रभु प्रेरणा से दादूजी के प्रसाद देने पर नान्ही बाई के वि. सं. १६३२ में गरीबदासजी का जन्म हुआ था । १६३४ में मसकीनदासजी जन्मे थे और १६३६ में युगलबाई दोनों एक साथ जन्मी थीं । उनके नाम सभाकुमारी और रूपकुमारी थे ।
.
गरीबदासजी को ७ वर्ष की अवस्था में आमेर भेज दिया गया था । वे सीकरी जाने से पहले ही पहुँच गये थे । अब मसकीनदास और सभाकुमारी तथा रूपकुमारी को भी दादूजी के पास भेज कर नान्ही और हीराबाई ने अहमदाबाद जाने का विचार किया फिर एक कोई दादूजी का भक्त दादूजी के दर्शन करने आमेर जा रहा था, उसके साथ मसकीनदासजी तथा दोनों बाइयों को भेजते हुये प्रार्थना भी भेजी - प्रभो ! अब ये आपके पास रहने के योग्य हैं, अतः आप इनको शिष्य बनाकर जन्मादिक संसार दुःख से बचाइये और हमें अब अहमदाबाद आने की आज्ञा भी दीजिये । अब हमारा साँभर में रहने का उदृ॓श्य पूरा हो गया हो गया है । अतः हम आपकी बताई हुई निर्गुण ब्रह्म की भक्ति करते हुये अपना जीवन अहमदाबाद में पूर्ण करेंगी ।
.
उक्त भक्त तीनों को लेकर आमेर में दादूजी के पास आये । सबने सप्रेम दादूजी को प्रणाम किया फिर सामने बैठ गये तब उस भक्त ने उक्त माताओं की प्रार्थना दादूजी को सुना दी । दादूजी ने उनकी प्रार्थना स्वीकार करली और बच्चों को रख लिया और उन दोनों को अहमदाबाद जाने की आज्ञा दे दी । वह भक्त जब पुनः साँभर लौटा तब दोनों माताओं को उक्त समाचार सुना दिये । दादूजी महाराज की आज्ञा मिलने पर दोनों माताओं ने अहमदाबाद समाचार भेज दिये फिर वहां से उनके सम्बन्धी आकर दोनों को अहमदाबाद ले गये ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें