रविवार, 25 सितंबर 2016

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#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू अवसर चल गया, बरियां गई बिहाइ ।
कर छिटके कहँ पाइये, जन्म अमोलक जाइ ॥ 
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साभार ~ Mahant Ramgopal Das Tapasvi 
##### समय का मूल्य #####
एक दिन पुस्तकों की दुकान पर एक ग्राहक आया । कुछ देर तक 'पुस्तकों को देखने के बाद उसने दुकान के एक कर्मचारी से पूछा - "इस पुस्तक की कीमत क्या है ?"
उत्तर मिला - "एक डालर ।"
"कूछ कम नही हो सकता ?" ग्राहक ने पूछा ।
"नही ।" दुकान के कर्मचारी ने स्पष्ट कह दिया ।
ग्राहक थोङी देर तक अन्य पुस्तकों को देखता रहा, फिर उस कर्मचारी से पुछा - "क्या आप दुकान के मालिक को बुला सकते है ? मैं उनसे मिलना चाहता हूँ ।"
दुकान के मालिक के आने पर ग्राहक ने उससे पूछा - "इस पुस्तक को आप कम से कम किस कीमत पर दे सकते है ?"
उत्तर मिला -"सवा डालर ।"
ग्राहक आश्चर्यचकित रह गया । उसने कहा- "पर अभी तो आपका कर्मचारी इसकी कीमत एक डाँलर बता रहा था ।"
"जी हां, जरूर बता रहा होगा, अब भी किताब की कीमत एक डालर ही है; लेकिन बाकी मेरे समय की कीमत है ।"
"अच्छा जो भी कीमत लेनी हो, वह अन्तिम बार बता दीजिए ।" ग्राहक बोला ।
"अब डेढ डालर ! आप जितनी देर करते जाएंगे, कीमत उतनी ही बढती जाएगी; क्यों कि समय का मूल्य भी इसके साथ जुङता जाएगा ।"
ग्राहक के पास अब कोई चारा नही था । वह एक के बदले डेढ डालर देकर पुस्तक खरीद कर ले गया । साथ ही उसे समय का मूल्य भी ज्ञात हो गया । समय का मूल्य बताने वाला दुकान के मालिक थे - बैंजामिन फ्रेंकलिन, जो आगे चल कर अमेरिका के प्रख्यात आविष्कारक, राजनीतिज्ञ, और दार्शनिक बने ।
### संस्कार बिन्दु, मासिक पत्रिका साम्भर लेक
###### सत्य राम सा

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