#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
आत्म मांहै ऊपजै, दादू पंगुल ज्ञान ।
कृतम् जाइ उलंघि करि, जहां निरंजन थान ॥
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साभार ~ रजनीश गुप्ता
(((((((( केदार धाम का महात्म्य ))))))))
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एक गांव में एक बहेलिया रहता था. वह पक्षियों और जानवरों का शिकार करता था. उसे हिरण का मांस बहुत प्रिय था. बहेलियां पशुओं का वध करने से पहले उन्हें बहुत तड़पाता था.
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एक दिन वह शिकार करने केदार तीर्थ में पहुंच गया. जब वह सघन जंगलों से होकर शिकार की खोज में पर्वतों पर विचर रहा था. उस समय नारद मुनि भी उस क्षेत्र में विचरण कर रहे थे.
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इंसान की जैसी लालसा होती है, विवेक भी वैसा हो जाता है. वह शिकार के लिए घात लगाए था इसलिए तपोबल के तेज से चमकते नारद मुनि को दूर से देखकर उसे स्वर्ण मृग का भ्रम हो गया.
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स्वर्ण मृग के शिकार की कामना से उस शिकारी ने अपने धनुष पर बाण चढ़ा लिया. इससे पहले कि वह नारदजी के वध के लिए बाण चलाता सूर्यास्त हो गया. अंधेरे में उसने बाण चलाना सही नहीं समझा.
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बहेलियां जहां था वहां पास में झाड़ियों में उसे दिखा कि एक सांप मेंढक को निगल गया है, किन्तु मृत्यु को प्राप्त करते ही मेढ़क शिव के स्वरूप में हो गया. वह हैरान था.
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वह कुछ दूर और आगे गया, तो देखा कि एक बाघ ने हिरण को मार डाला है, किन्तु वह हिरण भी मरने के बाद शिव गणों के साथ शिव लोक की ओर प्रस्थान कर रहा है.
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इन सब दृश्यों को देखकर वह बहेलिया भ्रमित और चकित हो उठा. इतने में ऋषि नारद उस बहेलिये के पास पहुंच गए. नारदजी को देख शिकारी ने सारी घटनाएं कहीं और उसके बारे में पूछा.
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नारद मुनि ने उससे कहा कि तुम बहुत सौभाग्य शाली हो, जो इस परम पवित्र तीर्थ में पधारे हो. इस कल्याण की शुभ तीर्थ में निकृष्ट जीव भी तुम्हारे देखते-देखते शिव तत्व को प्राप्त हो गए.
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बहेलिया नारदजी के चरणों में गिर गया. दण्डवत प्रणाम किया. उसने अपने उद्धार हेतु नारद जी से विनती की. नारद जी ने शिव महिमा के सम्बन्ध में उसे उपदेश तथा निर्देश दिए.
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उनके उपदेश के बाद वह शिकारी केदार वासी हो गया और भजन-चिंतन में रम गया. घोर हिंसक प्रवृति वाला वह बहेलिया केदार नाथ की भक्ति से मरकर मोक्ष को प्राप्त हुआ.
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((((((((( जय जय श्री राधे )))))))))
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