शनिवार, 13 मई 2017

= विन्दु (२)१०० =

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॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू चरितामृत(भाग-२)* 
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*= विन्दु १०० =*
टीलाजी ने कहा - दादूजी महाराज के आविर्भाव के दिन फाल्गुण शुक्ला अष्टमी को समाज का एक वृहद् मेला प्रतिवर्ष होना ही चाहिये । उस मेले में सब सन्तों का वर्षभर में मिल्न भी अनायास ही हो जाया करेगा तथा सामाजिक विभिन्न विचार भी किये जा सकेंगे । वह वृहद् मेला मेरे विचार से तो “श्री दादूधाम” नारायणा नगर में ही होना चाहिये । इतना कहते ही बखनाजी ने और नारायणा नरेश नारायणसिंहजी ने टीलाजी का पूर्ण रूप से समर्थन करते हुये कहा - इस मेले का समर्थन सब ही को ही करना चाहिये । 
तब सभा में उपस्थित सभी सन्तों ने और सेवकों ने अपने-अपने हाथ उठाकर “श्री दादूधाम” नारायणा के वार्षिक मेले का समर्थन किया । फिर जगजीवनजी ने कहा - सामान्य रूप से मेले दादूजी के पांचों ही धामों में होने चाहिये । 
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यह सुनकर जगन्नाथजी ने कहा - आमेर में तो बसन्त पंचमी का मेला जब दादूजी महाराज अकबर बादशाह को उपदेश देकर बसन्त पंचमी को आमेर आये थे, उस दिन आमेर के भक्तों ने भारी उत्सव मनाया था और ‘दादू आश्रम’ पर विशेष रूप से भक्त लोग आये थे । तब से ही वह मेला लगता है । दादूजी महाराज के वहां से पधार जाने के पश्चात् बसन्त पंचमी का उत्सव और मेला अब तक होता ही आ रहा है । 
अन्य तीन धामों के भी उस प्रकार मेले नियत कर दिये जायें फिर वहां भी मेले लग जाया करेंगे । इसमें कौनसी बड़ी बात है ? भक्त जनता तो दादूजी महाराज पर बहुत श्रद्धा रखती है, यह तो हम लोगों ने इस महोत्सव में प्रत्यक्ष देखा है । यहां कितनी-कितनी दूर के सज्जन आ पहुंचे थे जिसका आना हम तो कठिन ही समझते थे । तब बनवारीजी, हरिदासजी और उनके शिष्यों ने कहा अन्य तीन धामों के मेले ऐसे समय में रखे जाने चाहिये जिससे दूर देश के सज्जन भी उनमें सम्मिलत हो सकें । 
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तब फाल्गुण कृष्णा में करडाला का मेला निश्चित किया गया और फाल्गुण शुक्ला एकम से भैराणा का और फाल्गुण शुक्ला पंचमी से नारायणा “श्री दादू धाम” का मेला निश्चय किया गया । फाल्गुण शुक्ला ११ के पश्चात् सांभर का मेला निश्चय हुआ । इस प्रकार दादूजी के पांच मुख्य धामों के मेले निश्चय कर दिये गये । 
(क्रमशः)

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