सोमवार, 15 मई 2017

= ४४ =


卐 सत्यराम सा 卐
अंधे को दीपक दिया, तो भी तिमिर न जाय ।
सोधी नहीं शरीर की, तासन का समझाइ ॥ 
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साभार ~ Sojanya Goel
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बहुत खतरनाक जोक...... जरुर पढ़ें, आज विद्यालय में बहुत चहल पहल है । सब कुछ साफ - सुथरा, एक दम सलीके से । सुना है निरीक्षण को कोई साहब आने वाले हैं । पूरा विद्यालय चकाचक । नियत समय पर साहब विद्यालय पहुंचे । ठिगना कद, रौबदार चेहरा, और आँखें तो जैसे जीते जी पोस्टमार्टम कर दें । पूरे परिसर के निरीक्षण के बाद उनहोंने कक्षाओं का रुख किया ।
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कक्षा पांच के एक विद्यार्थी को उठा कर पूछा, बताओ देश का प्रधान मंत्री कौन है ? बच्चा बोला - जी राम लाल । साहब बोले - बेटा प्रधान मंत्री ? बच्चा - रामलाल । अब साहब गुस्साए - अबे तुझे पांच में किसने पहुंचाया ? पता है मैं तेरा नाम काट सकता हूँ । बच्चा - कैसे काटोगे ? मेरा तो नाम ही नहीं लिखा है । मैं तो बाहर बकरी चरा रहा था । इस मास्टर ने कहा कक्षा में बैठ जा दस रूपये मिलेंगे । तू तो ये बता रूपये तू देगा या मास्टर ? 
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साहब भुनभुनाते हुवे मास्टर जी के पास गए, कडक आवाज में पूछा - क्या मजाक बना रखा है । फर्जी बच्चे बैठा रखे हैं । पता है मैं तुम्हे नौकरी से बर्खास्त कर सकता हूँ । गुरूजी - कर दे भाई । मैं कौन सा यहाँ का मास्टर हूँ । मास्टर तो मेरा पड़ोसी दुकानदार है । वो दुकान का सामान लेने शहर गया है। कह रहा था एक खूसट साहब आएगा, झेल लेना । 
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अब तो साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर । पैर पटकते हुए प्रधानाध्यापक के सामने जा पहुंचे । चिल्लाकर बोले, "क्या अंधेरगर्दी है, शरम नहीं आती । क्या इसी के लिए तुम्हारे स्कूल को सरकारी मदद मिलती है । पता है, मैं तुम्हारे स्कूल की मान्यता समाप्त कर सकता हूँ जवाब दो प्रिंसिपल साहब ।
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प्रिंसिपल ने दराज से एक सौ की गड्डी निकाल कर मेज पर रखी और बोला - मैं कौन सा प्रिंसिपल हूँ प्रिंसिपल तो मेरे चाचा हैं । प्रॉपर्टी डीलिंग भी करते हैं आज एक सौदे का बयाना लेने शहर गए हैं । कह रहे थे, एक कमबख्त निरीक्षण को आएगा, उसके मुंह पे ये गड्डी मारना और दफा करना ।
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साहब ने मुस्कराते हुए गड्डी जेब के हवाले की और बोले - आज बच गये तुम सब । अगर आज मामाजी को सड़क के ठेके के चक्कर में शहर ना जाना होता, और अपनी जगह वो मुझे ना भेजते तो तुम में से एक की भी नौकरी ना बचती ।
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This is real situation of India

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