मंगलवार, 16 मई 2017

= सूक्ष्म जन्म का अंग =(११/१-३)


#daduji
卐 सत्यराम सा 卐 
*श्री दादू अनुभव वाणी* 
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥ 
*अथ सूक्ष्म जन्म का अँग ११*
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मन के अँग के पश्चात् मन के मनोरथ रूप सूक्ष्म जन्म का परिचय देने के लिए "सूक्ष्म जन्म का अँग" कथन करने में प्रवृत्त मँगल कर रहे हैं - 
दादू नमो नमो निरंजनँ, नमस्कार गुरुदेवत: । 
वन्दनँ सर्व साधवा, प्रणामँ पारँगत: ॥ १ ॥ 
जिन की कृपा से साधक मन के मनोरथ रूप सूक्ष्म जन्म से पार होकर परब्रह्म को प्राप्त होता है, उन निरंजन राम, सद्गुरु और सर्व सँतों को हम अनेक प्रणाम करते हैं । 
दादू चौरासी लख जीव की, प्रकृति घट माँहि । 
अनेक जन्म दिन के करे, कोई जाने नाँहि ॥ २ ॥ 
२ में सूक्ष्म जन्मों का सामान्य परिचय दे रहे हैं - प्राणी के अन्त:करण में चौरासी लाख योनियों के जीवों के स्वभाव रहते हैं और वे दिन के अल्प काल में भी मनोरथ रूप अनेक जन्म देते रहते हैं, किन्तु इन जन्मों को सँसारी प्राणी कोई भी नहीं जान सकता । उच्च कोटि के साधक ही जान पाते हैं । 
दादू जेते गुण व्यापें जीव को, ते ते ही अवतार । 
आवागमन यहु दूर कर, समर्थ सिरजनहार ॥ ३ ॥ 
३ - ८ में सूक्ष्म जन्मों को विस्तार से बता रहे हैं - इस जीवात्मा के अन्त:करण में जितने गुण प्रकट होते हैं, उतने ही इसके जन्म होते हैं । जैसे शौर्य की प्रधानता जब होती है, तब सिंह का जन्म होता है । ऐसे ही मन में अनेक कामादि प्रकट और लय होते हैं, यही सूक्ष्म जन्म - मरण हैं । हे समर्थ सृष्टिकर्त्ता ईश्वर ! हमारा यह सूक्ष्म जन्म - मरण रूप आना - जाना कृपा करके दूर करेँ ।
(क्रमशः)

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