शनिवार, 6 मई 2017

= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८/५४-५) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
*अपने अपने तात सौ, बिछुरत ह्वै गये और ।* 
*सद्गुरु आप दया करो, ले पहुँचाये ठौर ॥५४॥* 
ये सभी अपने-अपने पिता से बिछुड़कर अपनी स्थिति भूलकर अन्य प्रकार के हो गये थे, अपने मार्ग से भटक गये थे, पर सद्गुरु ने दयाकर के उपदेश देकर सबको यथास्थान लाकर बैठा दिया ॥५४॥ 
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*प्रसरे हू ये शक्ति मय, संकोचे शिव होइ ।* 
*सद्गुरु यह उपदेश करि, किये बस्तुमय सोइ ॥५५॥* 
जब इन आठों का प्रसार(विस्तार) होता है तो ये सृष्टिप्रपंच बन जाते हैं और जब इनका आकुच्च्न(संकोच = संक्षेप) होता है तो ये स्व स्वरूप(परमात्मतत्व) में स्थित हो जाते हैं । सद्गुरु ने ज्ञानोपदेश में इनको वास्तविक स्थिति(परमात्मतत्व) तक पहुँचा दिया ॥५५॥ 
(क्रमशः)

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