शुक्रवार, 12 मई 2017

= पच्ञप्रभाव(ग्रन्थ ९/९-१०)

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= पच्ञप्रभाव(ग्रन्थ ९) =*
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*दासी घर कौं काम सब, करती डोलै साथ ।*
*जुवती ऊंचे वंश की, जीमै ताकै हाथ ॥९॥*
यद्यपि माया दासी घर के सभी कार्यों में भक्ति युवती का हाथ बटाती हुई निरन्तर साथ रहती थी, परन्तु सन्तजन भोजन भक्ति के हाथ बनाया ही करते थे ॥९॥
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*दासी आज्ञा मैं रहै, जहं भेजै तहं जाइ ।*
*ताकौ संग करै नहीं, बरतैं सहज सुभाइ ॥१०॥*
माया दासी उनके पूर्णतः वशवर्तनी थी, उनकी आज्ञा मान कर, जहाँ भेजा जाता था वहाँ जाती थी । परन्तु सन्तजन इससे आगे बढ़कर उसके साथ किसी प्रकार का संग करना हेय समझते थे । वह दासी थी, भाविक ढंग से दासी के व्यवहार तथा मर्यादा से वहाँ रहती थी ॥१०॥
(क्रमशः)

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