बुधवार, 10 मई 2017

= पच्ञप्रभाव(ग्रन्थ ९/५-६)


🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= पच्ञप्रभाव(ग्रन्थ ९) =*
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*तब सन्तनि कै ढिंग गई, देखे सीतल रूप ।*
*क्षमा दया धृति दीनता, सब गुन अजब अनूप ॥५॥*
तब वह सन्तों के पास पहुँची, उनका सौम्य शीतल रूप देखा, शान्त आचरण देखा । उनमें क्षमा, दया, धैर्य, विनय आदि सभी साधुजनोचित अद्भुत और अनुपम गुण दिखायी दिये ॥५॥
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*तिन के लक्षण देखि कैं, भक्ति सु बोली आप ।*
*तुम ते मन राजी भयो, मौ सौं करहु मिलाप ॥६॥*
सन्तों के इन गुणों से मुग्ध होकर भक्ति स्वयं ही उन सन्तों से बोली कि महाराज ! मेरा मन आप में लग गया है, आप मुझसे विवाह कर लीजिये ॥६॥
(क्रमशः)

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