शुक्रवार, 26 मई 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/५-६) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*कै शिष्य हिं गुरु पैं लै जाई ।*
*प्रेरक उहै और नहि भाई ।*
*अब प्रतिलोम हिं कहौं प्रनाली ।*
*जैसी बिधि यह पद्धति चाली ॥५॥*
कभी कभी ऐसा भी होता है कि उस साधक को गुरुदेव के दूसरे शिष्य उनके पास ले जावें । इसमें भगवान् की प्रेरणा तो रहती ही है, फर्क इतना ही है कि वह प्रेरणा सीधे साधक के ह्रदय में न उठकर गुरुदेव के शिष्यों के ह्रदय में उठी । अब मैं आपको प्रतिलोम(उलटी) पद्धति से अपनी वह गुरुप्रणाली उसी विधि से बतलाता हूँ जिस विधि से यह प्रणाली चली ॥५॥
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*= श्रीसुन्दरदासजी के गुरु का नाम =*
*प्रथमहिं कहौं आपुनि बाता ।*
*मोहि मिलायौ प्रेरि बिधाता ।*
*दादूजी जब द्योस आये ।*
*बालपनैं हम दरसन पाये ॥६॥*
मैं पहले अपने ही विषय में कुछ बताता हूँ । मुझे भगवान् से प्रेरणा देकर गुरुदेव से मिला दिया । महात्मा श्रीदादूदयालुजी महाराज(मेरे गुरुदेव) जब दौसा(राजस्थान में जयपुर राज्य की प्राचीन राजधानी) पधारे, उस समय मेरा बहुत बचपना था, पर मैंने उनके दर्शन किये थे ॥६॥
(क्रमशः)

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