सोमवार, 29 मई 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/११-२) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*मस्तक पर हाथ धर्यौ है जब ही ।*
*दिब्य दृष्टि उधरी है तब ही ।*
*यौं करि कृपा बडौ दत दीनौ ।*
*बृद्धानन्द पयानौ कीनौ ॥११॥*
और आशीर्वचन के रूप में उनके सिर पर ज्यों ही अपना सुकोमल हाथ फेरा त्यों ही महाराज को दिव्य दृष्टि प्रादुर्भूत हो गयी । यों कृपा करके परमगुरु ने हमारे गुरु को अवलम्ब दान कर दिया ।(दिव्य ज्ञान का संकेत कर दिया ।) और इतना करके वृद्धानन्द जी महाराज अपनी इच्छानुसार वहाँ से पधार गये ॥११॥
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*= गुरुप्रणाली = दोहा =*
*तिनि कौ कुशलानन्द गुरु, कहिये परम प्रसिद्धि ।*
*दशौं दिशा जाकै कुशल, पाई पूरण निद्धि ॥१२॥*
उन वृद्धानन्दजी के गुरु का नाम था श्री कुशलानन्द । जो उस समय के सन्तों में परम प्रसिद्ध थे । जिनके प्रभाव से दसों दिशाओं में सुख साम्राज्य था, उन्होंने अष्ट सिद्धि नव निधियों को पूर्णतः वश में कर रखा था ॥१२॥
(क्रमशः)

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