गुरुवार, 25 मई 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/३-४) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*सम्प्रदाय अब सुनहु हमारी ।*
*तुम पूछी हम कहैं विचारी ।*
*सब को गुरु परमातम एका ।*
*जिनि यह कीयौ चित्र अनेका ॥३॥
अब आप हमारी सम्प्रदायपरम्परा(गुरुप्रणाली) सुनिये, जिसके लिये आप ने प्रश्न किया है । हम बहुत ही विचारपूर्वक उनके उत्तर में आपको बता रहे हैं । यों तो सभी साधकों का परम गुरु एक भगवान् ही हैं, जिन्होंने इस चित्र-विचित्र ससार की सृष्टि की है ॥३॥
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*सब कौ ईश सकल कौ स्वामी ।*
*घट घट ब्यापक अंतरजामी ।*
*सो जब घट मंहि लहरि उठावै ।*
*तब गुरु शिष्यहिं आनि मिलावै ॥४॥*
वह भगवान् ही सबका मालिक है, वह प्रत्येक प्राणी के शरीर में वास करता है, वह सब के ह्रदय की बात जानता है । वही जब किसी साधक के ह्रदय में प्रेरणा करता है तो वह साधक शिष्य तत्वोपदेश के लिये गुरु के पास पहुँचने में देर नहीं लगाता ॥४॥
(क्रमशः)

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