रविवार, 28 मई 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/९-१०) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷

🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏

🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷

रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*

संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री

साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान

अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज

https://www.facebook.com/DADUVANI

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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*

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*बृद्धानन्द नाम है जाकौ ।* 

*ठौर ठिकानौ कहूँ न ताकौ ।* 

*सहज रूप बिचरै भू मांही ।* 

*इच्छा परै तहां सो जाँहीं ॥९॥*

उनका पवित्र नाम है श्री वृद्धानन्द । उनका कोई एक निशि्चत  स्थान नहीं बताया जा सकता(क्योंकि वे सर्वव्यापी हैं) वे अपने साधारण(वृद्ध) पुरुष के रूप में समग्र भूमण्डल में घूमते रहते हैं, जहाँ इच्छा होती है वहीं पहुँच जाते हैं ॥९॥

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*बृद्धानन्द दया तब कीनीं ।* 

*काहू पै गति जाइ न चीनीं ।* 

*दादूजी तब निकट बुलायौ ।* 

*मुदित होई करि कंठ लगायौ ॥१०॥*

उस समय उस वृद्धानन्द गुरु ने महाराज पर दया की । उनकी गति-विधि को कौन पहचान सकता है ! उन्होंने महाराज को अपने पास बुलाया, और प्रसन्न होकर उन्हें अपने गले लगा लिया ॥१०॥

(क्रमशः)

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