शनिवार, 30 जून 2018

= सुन्दर पदावली(१-जकड़ी राग गौड़ी ५/१) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
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(५) 
*ये तहां झूलहि संत सुजान सरस हिंडोलवा ॥(टेक)* 
सुखदायक हिंडौला : (झूले के रूपक से काया एवं आत्मा का वर्णन) ।
अरी ! बुद्धिमान् संत ऐसे सुखद हिंडोले(झूले) में झूल कर बहुत सुख मानते हैं ॥टेक 
*जत सत दोउ षंभ वरे श्रद्धा भूमि बिचारि ।* 
*क्षमा दया धृति दीनता ये सषि सोभित डांडी चारि ॥१॥* 
यम नियम एवं सत्य जिस झूले के स्तम्भ हों; भगवान् एवं भक्तों के प्रति श्रद्धा ही जिसकी भूमि हो; क्षमा, दया, धैर्य एवं दीनता(विनय) - ये चार जिसके दण्ड हों ॥१॥
*उत्तम पटली प्रेम की रे डोरी सुरति लगाइ ।* 
*भईया भाव झुलवई ये सषि हरषि हरषि गुन गाइ ॥२॥* 
प्रेम जिसकी उत्तम पटली(काष्ट पट्ट) है और सुरति ही रस्सी(डोर) है । सखी या भाई एवं भाभी जिसे अतिशय प्रसन्नता से प्रशंसापूर्वक झुला रही हों ॥२॥
(क्रमशः)

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