#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
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(२)
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*षवरि भईय दातार सार मोहि बूझिय रे ।*
*इहां आवन की गैलि तोहि कस सूझिय रे ॥६॥*
दाता को जब मेरे आने की सूचना मिली तो उसने मुझसे सर्वप्रथम यही पूछा कि तुम को मेरे यहाँ आने का मार्ग(उपाय) किसने बताया ॥६॥
*जाचिक बोलै बैंन सकल फिरि आयौ रे ।*
*तोहि जैसौ कोउ अवर कहूं नहीं पायौ रे ॥७॥*
याचक ने(मैंने) यह उत्तर दिया कि मैं सर्वत्र घूम आया, परन्तु आप जैसा दान दाता मुझे अन्यत्र कहीं नहीं मिला ॥७॥
*सब साहिन पर साहि नृपति पर राइय रे ।*
*सब देवन पर देव सुन्यौं सुख्ख दाइय रे ॥८॥*
आप सभी सम्राटों के सम्राट् तथा साधारण राजाओं की अपेक्षा महान् राजा हैं । तथा सभी देवताओं से बड़े देवता हैं । साथ ही आप सभी के सुखदाता हैं ॥८॥
(क्रमशः)
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