#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
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(३)
*ताहि न जग ध्यावई, जातैं सब सुख आनंद होइ रे ।*
*आन देव कौं ध्यावतैं, सुख नहिं पावै कोइ रे ॥(टेक)*
यह संसार उस प्रभु का ध्यान क्यों नहीं करता जिससे सर्वविध सुख एवं आनन्द की प्राप्ति होती है ॥ अन्य देवताओं के ध्यान एवं पूजापाठ से कोई सुख प्राप्त होने वाला नहीं है ॥टेक॥
*कोई शिव ब्रह्मा जपै रे कोई विष्णु अवतार ।*
*कोई देवी देवता इहां उरझ रह्यौ संसार ॥१॥*
कोई साधक शिव का जप करता है तो कोई अवतारी विष्णु का कोई अन्य देवी देवताओं का । इस प्रकार यह समस्त संसार देवी देवताओं के चक्र में उलझा पड़ा है ॥१॥
(क्रमशः)
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