शुक्रवार, 22 जून 2018

= सुन्दर पदावली(१-जकड़ी राग गौड़ी २/४) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
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(२) 
*षुसिय भये दातार कहा तुम मांगै रे ।* 
*रिधि सिधि मुकति भण्डार सु तेरै आगै रे ॥९॥* 
यह सुनकर दाता प्रसन्न हुए, उनने पूछा - "तुम को क्या चाहिये ? मेरा समस्त ऋद्धि, सिद्धि एवं मुक्ति का भण्डार तुम्हारे सामने है ?" ॥९॥ 
*जाकर इन कीये चाहि ताहि कौं दीजै रे ।* 
*हम कंहं नाम पियार सदा रस पीजै रे ॥१०॥* 
(मैंने उत्तर दिया - ) "जो इनकी याच्ञा करे, उसी को ये सब दिजीये । हमको तो आप का नाम ही प्रिय है, उसी को रटते हुए हम अमृत रस पीते रहते हैं" ॥१०॥ 
*देष्यो बहुत डुलाइ न कतहूंव डौलै रे ।* 
*दियौ अभै पद दान आन नहीं तोलै रे ॥११॥* 
जब भगवान् ने ऐसे ही अन्य अनेक प्रश्न किये, तब भी मैं अपनी मांग से पीछे नहीं हटा तो अन्त में उनने मुझको 'अभयदान' दिया । तथा आगे अन्य कोई प्रश्न नहीं किया ॥११॥ 
(क्रमशः)

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