रविवार, 29 जुलाई 2018

= सुन्दर पदावली(४. राग कानड़ो ६) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= ४. राग कानड़ो =*
(६) 
*तूं अगाध परब्रह्म निरंजन को अब तोहि लहै ।* 
*अजर अमर अबिगति अबिनासी कौंन रहनि रहै ॥(टेक)* 
हे निरञ्जन परब्रह्म ! तूँ अगाध है, अतः तेरी गम्भीरता को कौन पा सकता है । तूँ कभी न जीर्ण होने वाला, कभी न मरने वाला, कभी न नष्ट होने वाला तथा किसी को भी पहुँच से दूर और तूं किस स्थिति में रहता है - यह कोई नहीं जानता ॥टेक॥ 
*ब्रह्मादिक सनकादिक नारद से सहु अगम कहै ।* 
*सुन्दरदास बुद्धि अति थोरी कैसे तोहि गहै ॥१॥* 
ब्रह्मा आदि देवता एवं सनक सनन्दन आदि ज्ञानियों ने भी तुझको 'अगम्य' ही कहा है । जबकि यह भक्त सुन्दरदास तो अतिशय मतिमन्द है, वह तुम्हारे विषय में कैसे कुछ जान सका है ॥१॥ 
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें